तेरे सद के मैं जाऊ मेरी जान तिरंगा। ओ मेरी शान तिरंगा। तुझसे ही है मेरी पहिचान तिरंगा…
दिल को छू गई धड़कने आज़ाद हैं, पहरे लगाकर तो देख लो.. प्यार छुपता ह…
करुणामयी मेरी " माँ" यह कविता समर्पित है,मेरी- "माँ पूजनीय करुणा…
हिस्सा एक समय सपना के बीएससी के एग्जाम चल रहे थे, प्रथम वर्ष की बनी दोस्त, दूसरे व…
मेरे हाथ में किताब थी और मैं इधर उधर देखे जा रही थी क्योंकि वह मेरे हाथ में किता…
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