तेरे सद के मैं जाऊ मेरी जान तिरंगा। ओ मेरी शान तिरंगा। तुझसे ही है मेरी पहिचान तिरंगा…
अचानक से आज यूँ ही ख़्याल आया कि.... अख़बार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा, प्राणायाम किया तो अ…
मेरे जीवन की एक अद्भुत घटना जिसका भाव ,भोजन बहुमूल्य है | अन्न ब्रम्ह अस्ति | no wa…
मत रोको मुझे, बोलने दो, "मां" बहुत की हुकूमत तुझ पर ,उन सब ने, बहुत चलाए त…
करुणामयी मेरी " माँ" यह कविता समर्पित है,मेरी- "माँ पूजनीय करुणा…
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