हिस्सा
एक समय सपना के बीएससी के एग्जाम चल रहे थे, प्रथम वर्ष की बनी दोस्त, दूसरे वर्ष में मिली दोस्त भावना से मिलकर मानो आनंद की सीमा नहीं रही।
वहीं भावना भी बहुत उत्साहित थी,कुछ बताने को उसके चेहरे की चमक बता रही थी । कोई खुशखबरी है, मैंने पूछ ही लिया- "ओहो मेडम क्या बात है, क्यों मैडम आपका चेहरा बड़ा चमक रहा है अपनी खूबसूरती का राज तो बताइए ,"
deep love
बहुत ही ज्यादा खुश होकर भावना बोली- "हां यार खुश तो मैं बहुत हूं, मेरी शादी तय हो गई है और हंसते हुए गले से लगा लिया।"
मैं भी बहुत खुश हुई उसे खुश देख कर मैंने उसे जरा छेड़ा तो वो शर्मा गई बोली, यार मोबाइल नंबर तो दे दे - मैंने उसे नंबर दिया। फिर एग्जाम का समय हो गया था तो एग्जाम देकर हम दोनों अपने-अपने घर चले गए।
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फिर दूसरे पेपर में मुलाकात हुई इस बीच मेरी उससे फोन पर कोई भी बातचीत नहीं हुई थी, : - उसने मुझे बोला,चल अब देती हूं मैं तेरे एसएमएस का जवाब , तो मैं बोली कौन से sms का ? तो वह बोलती है, वही जो तू पूछ रही थी। बहुत शैतान है तू, मैं बोली अरे! नहीं-नहीं मैं कब तुझे sms की और नंबर तो तू ले गई थी मेरे से, तूने तो दिया ही नहीं, मेरे पास तेरा नंबर ही नहीं हैं - 'उसने बोला अच्छा तो फिर किससे बात की हूं मैं???,' पता नहीं ??? मैं बोली - 'पागल देखा तो कर कौन है तो वह बोली, अरे! यार बिल्कुल तेरे जैसे ही बात कर रही थी, मैं सोची तू है।'
मैं बोली चल ठीक है अब एग्जाम का समय हो गया है देखना तो घर जाकर किससे बात की तू,आज फिर एग्जाम खत्म हुआ और हम दोनों अपने अपने घर चले गए ।
तीसरे दिन मुझे एक s.m.s. आता है और फिर कॉल भी आता है और बात होती है,एग्जाम थे इस कारण में इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाई। लेकिन अगले दिन एग्जाम था, भावना मुझे मिली और मैंने भावना को बोला यह क्या है???? उसने बोला माफ करना यार! वह जो मैं बात कर रही थी मैसेज की वह मेरे देवर जी ने किए थे , और मैंने उसमें तेरा नाम भी लिया था। अब उनको तेरे से बात करनी थी तो उन्होंने मुझसे तेरा नंबर ले लिया ।
तू अब बात कर लेना और ठीक है ना, तू मेरी देवरानी बन जाना हम दोनों बहुत मस्ती करेंगे,फिर क्या पागल लड़की है उसे यह नहीं पता की किसी लड़की का नंबर ऐसे नहीं देना पड़ता। लेकिन शादी को लेकर कुछ ज्यादा ही खुश थी तो मैं उसे ज्यादा कुछ नहीं बोली क्योंकि नंबर तो पहुंच ही चुका था।
अब उनके देवर जी से बात होने लगी। देवर जी थे बहुत ही -'फेंकू' मेरा भी यूं ही टाइम पास होता था। बात लव यू तक पहुंच गई, मैं भी बोली चल ठीक है क्योंकि मैं जानती थी कि वह कैसा बंदा है लड़कियां उस का शौक है आज कोई तो कल कोई और,मैं उसके कोई काम की नहीं हूं यह मुझे पता था क्योंकि मैं उसके पास मिलने कभी नहीं जाऊंगी मैं भी टाइम पास कर रही थी।
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इस तरह समय बीतता गया.... bsc का तीसरा वर्ष के एग्जाम हो रहे थे, और उसका अंतिम दौर भी चल रहा था लास्ट प्रैक्टिकल था, उस दिन भावना मैडम के होने वाले पति देव और देवर जी भी हमारे कॉलेज में पधारे। मैं और भावना एग्जाम दे रहे थे और भावना मेरे मजे भी लेते जा रही थी, मैंने कहा - 'चल ले ले तू मेरे मजे', फिर एग्जाम के बाद देवर जी से थोड़ी मुलाकात हुई ,दो चार बातें हुई कुछ तारीफ के मस्के भी लगाए गए।
मै भी सोची - चल ठीक है बेटा, लगा लो मस्का आज के बाद कभी भी नहीं दिखूंगी मैं,तू खुद मेरे से बात करना बंद कर देगा और फिर मैं सोचते-सोचते मुस्कुराई और वहां से निकल गईं ।
यूं ही आगे फोन से बातें होती रही । उनके अरमान कुछ और थे । लेकिन मैं उनके अरमानों पर कभी खरी नहीं उतर पाती और नहीं उतर पाई तो उन्होंने मेरा नंबर अपने दोस्त को थमा दिया। ले अब तू ही कर इससे बात ये मेरे मतलब की नहीं है, मेरे पास दूसरे नंबर से मैसेज आता है मैं बात नहीं करती।
फिर मैंने भावना के देवर शिवम से पूछा कि तुमने मेरा नंबर किसी और को क्यों दिया ???? उसने बोला अरे ! कुछ नहीं मेरा दोस्त है उससे बात कर बहुत अच्छा है - मैं नाराज तो थी ही, उसका दोस्त मेरे से बात कर रहा था। लेकिन उसका कोई गलत इरादा नहीं था,मेरे लिए वह बहुत सच्चे और सुलझा हुआ लड़का था वो बस मेरी मदद करना चाहता था। इसलिए मेरी उससे बात हुई।
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समय बीता बात आगे बढ़ी शिवम के दोस्त से मेरी बात हुई वह एक बहुत ही समझदार और सुलझा हुआ लड़का है। एक बहुत सुकून सा था उसकी बातों में,उसके साथ में, फिर भी मैंने 15 दिन तक उससे दोस्ती तक नहीं की थी। वह बस मुझे समझाता था कि आप एक बहुत अच्छी लड़की है परंतु शिवम अच्छा नहीं है - आपके लिए।
लेकिन उसने कभी नहीं बोला कि मैं उससे दोस्ती करूं या उससे कोई रिश्ता बनाऊं। वह , बस मुझे गलत रास्ते से सही रास्ता देना चाह रहा था। समय अपनी गति से आगे बढ़ रहा था उसकी सुलझी बातें मुझे अच्छी लगती थी और उसको मेरी। बिना कुछ सोचे मेरी बात को मानता,बिना कुछ रिश्ते के मेरी बातो को सुनता और समझता।एक बार बातों बातों में मैंने पूछा - आप शराब पीते हैं? वो बोले :- ' कभी-कभी,आप मांसाहार करते हैं? बोले दोस्तों के साथ, मैंने कुछ नहीं बोला बस इन सब के बारे में कुछ बाते बताई।' लेकिन मै छोड़ने को नहीं बोली और मेरी बात सुनकर, समझकर, मेरे बिना बोले उन्होंने यह छोड़ दिया मुझे यह बात बहुत पसंद आई और अब मैंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और हम दोस्त बन गए ।
हमारी दोस्ती बहुत ही अच्छी,सच्ची और बहुत ही अनोखी रही लगता ही नहीं था, कि हमें मिले 15 से 20 दिन ही हुए। एक-दूसरे को समझना, समझाना अच्छे बुरे में साथ देना, बहुत खुशी मिलती एक दूसरे के साथ। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता गया और हमारे दिल भी मिलते चले गए।
बहुत ही स्पेशल डे जिसे दुनिया बहुत स्पेशल मानती है 'वैलेंटाइन डे' का दिन और उन्होंने अपने दिल की बात सामने रखी और उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया, मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या बोलूं ??? क्योंकि प्यार मेरी तरफ से नहीं उनकी तरफ से हुआ , मैं तो उसे हमेशा से एक बहुत अच्छा दोस्त ही मानती रही, लेकिन उनकी बातों से मैं उसे ना भी नहीं बोल पाई । बस बोला शादी नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मेरे घर की परिस्थिति कुछ ठीक नहीं है। वह सब जानता था, उसने मुझे कभी किसी भी बात के लिए जबरदस्ती नहीं की।
इस प्रकार समय बीतता गया..... और धीरे-धीरे हम कब दो जिस्म एक जान बन गए, पता ही नहीं चला, लगता नहीं था कि हम दोनों कुछ समय से ही मिले हैं, ऐसा लगता था,मानो इस दुनिया में आकर ही सबसे पहले वह मुझे और मैं उसको मिली एहसास बहुत प्यारा हुआ करता था। "चारों तरफ खुशी क्योंकि खुशी सिर्फ उसी में हैं, इसलिए सब अच्छा लगता।
समय बहुत अच्छा बीत रहा...., हर एक क्षण को हमने संजोया,हर एक पल को जिया,हम दोनों का कभी झगड़ा ही नहीं होता, सिर्फ एक बात को छोड़कर मैं उनको हमेशा बोलती, अच्छा रिश्ता मिले तो शादी के लिए हां बोल देना, तब उनको गुस्सा आता कि मुझे शादी से डर लगता है । मैं तुमको खोना नहीं चाहता,मैं उसे बहुत समझाती थी।
एक दिन मैंने उससे अपने एक पुराने दोस्त के बारे में जिक्र किया तो उसे लगा कि मैं उससे प्यार करती हूं। और वह हम दोनों के बीच आ रहा है उसने मेरे से दूर जाने का फैसला ले लिया,अचानक वह- मेरे से दूर जाने लगा उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया, उस दिन मैं पूरा दिन रोई***, उसने मुझे जब वीडियो कॉल पर देखा और मुझे बहुत समझाया कि तुम दोनों खुश रहना,मैं बोली नहीं, मैं नहीं, सिर्फ वह मुझसे प्यार करता है मैं तो आपसे प्यार करती हूं । उसके दूर जाने से मैं बहुत डर गई मानो मेरी दुनिया ही खत्म होने वाली है। मैं बहुत रो रही*** उसने मुझे बहुत शांत कराने की कोशिश की लेकिन मैं नहीं मानी उसको गुस्सा आ गया, क्योंकि वह मेरी आंखों में एक आंसू नहीं देख सकता।
आज मेरी रो रो... कर आंख सूज चुकी थी उसने अपने सिर पर मार लिया मैं बोली नहीं...नहीं..., मत मारो.. तब उसने बोला- 'तुम रोना बंद कर रही या नहीं, तब मैंने रोना बंद किया और उसने मुझे समझाया' और बताया कि देखो :- बाबू कभी किसी के सामने ऐसे रोना गिड़गिड़ाना नहीं, कौन हूं मैं? जो तुम मेरे लिए रो रही, आज मैं तुमको छोड़ कर चला जाऊंगा तो तुम रोती रहोगे और मैं मस्ती से रहूंगा, तू कभी किसी के लिए ऐसे रोना गिड़गिड़ाना नहीं और फिर तुम जानती हो मैं तुम्हारे आंखों में एक भी आंसू नहीं देख सकता। फिर भी तुम रोए मुझे लगा मैं तुम दोनों के बीच आ रहा लेकिन अब ठीक है मैं समझ गया अब कहीं नहीं जाऊंगा। हाँ! अब ठीक लगा, मैं बहुत खुश हुई और वादा भी लिया दूर ना जाने का।
कुछ समय बाद वह अपने घर गया क्योंकि वह बाहर नौकरी करता तो कुछ-कुछ समय बाद वह घर जाता था, इस बार वह घर पर पहुंच तो गया लेकिन इस बार उसका मन घरवालों के साथ नहीं लग रहा था । वह अपने घर वालों के बीच घिरा होने पर भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था। क्योंकि वह मुझे याद कर रहा था, वह उन सब से बाहर निकल कर मुझसे बात करने को आतुर था, समय पाकर फोन किया और बोला :- 'यार बाबू! बहुत याद आ रही है।' मैं बोली सबके साथ रहो, देखो सब कितने खुश हैं। बोलता है- हां लेकिन दिल ही नहीं लग रहा।
मैं बोली- मैं तो हमेशा आपके साथ हूं, फिर क्यों याद आ रही जाओ और परिवार के साथ रहो। मैं सो जाऊंगी आपके साथ, कल जल्दी उठना है बहुत काम है उसने :- कहा ठीक है लेकिन 'आई मिस यू' ,' लव यू' ,मैं बोली - ' मिस यू टू मेरी जान' अब जाओ सब इंतजार कर रहे हैं- ठीक है अब बाय,गुड नाईट।
अगले दिन पता नहीं कहां से बाबू के दिमाग में आ गया मिलना है, तो बाबू की फरमाइश मिलना है, मैं बोली अरे यार बाबू अभी संभव ही नहीं- चूंकि अभी तक हम एक भी बार नहीं मिले थे ,और उसको मिलने की चाहत बहुत थी, तो वह बोला - ' मैं आ जाता हूं, 200 से 300 किलोमीटर ही तो है', मैं बोली - ' 200 से 300 किलोमीटर दूर है लेकिन मैं मिल नहीं पाऊंगी ' , उसने कहा ठीक है, तुम मत आना मिलने, बस तुम अपने घर के बाहर आ जाना मैं तुमको देख कर चुपचाप वहां से चला जाऊंगा। मैंने कहा नहीं पागल हो क्या इतना दूर आओगे और देख कर चले जाओगे इतना परेशान होकर आने की कोई जरूरत नहीं है मैंने मना कर दिया??? बहुत मना किया वह मान ही नहीं रहा था ।
फिर मान तो गया, लेकिन बहुत उदास भी हो गया। मैं क्या करती ??? इतना परेशान होने के बाद मिलना भी नहीं होगा, तो फिर कोई मतलब नहीं था। इसलिए मैंने उसको मना कर दिया और फिर माफी भी मांग ली। कुछ दिन बाद अब उनका जाने का समय आ गया था, लेकिन इस बार वह बहुत उदास था।
मेरे से गुस्सा भी था और बोला अब पता नहीं मैं कब-आऊंगा और कब तुमसे मिल-पाऊंगा, मैंने उसको समझाया। लेकिन मेरे से ज्यादा बात ही नहीं कर रहा था, तो मैंने कुछ नहीं कहा क्योंकि वह उस समय ट्रेन में था और वह कुछ करता मुझे मंजूर नहीं। मैने इंतजार किया, उसका कि - जब वह अपने कमरे में पहुंच जाएगा तब मैं बात करूंगी, फिर मान गया और सो गया।
ऐसे ही समय बहुत अच्छे से बीत रहा था, फिर कुछ दिन बाद हमारी एक मुलाकात हुई वह अपने घर आया था और मैं अपने दोस्त के यहां गई हुई थी। वहां हमारी पहली मुलाकात हुई।
हमने अपने जीवन के कुछ 4 घंटे बिताए, जिसे भूलना कभी संभव नहीं है... हँसते-मुस्कुराते कैसे 4 घंटे निकल गए.... पता नहीं चला, उससे मिलने के बाद मानो ऐसा लगा जैसे मुझे कुछ नहीं चाहिए। सब कुछ मिल गया मुझे, बहुत-खुश....बहुत-खुश....बहुत ही ज्यादा...., मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
जब वह ट्रेन से निकल कर आया,पसीने में गीला और सफर की थकान भी थी, लेकिन मुझे देख कर बहुत खुश, मैं बोली थक गए, लाड़ में बोला हां लेकिन अपनी जान को देखकर सारी थकान उतर गईं। मैं बोली ठीक है मस्का मत लगाओ और उन्होंने मुझे छुआ भी नहीं था। क्योंकि वो मेरी बिना इजाजत मुझे छुएंगे भी नहीं जानती थी।
फिर मैंने उनको उसी पसीने में गले से लगा लिया। अरे वाह! कैसा महसूस हुआ ??इसे शब्दो में बयान करना संभव ही नहीं हैं,समय बहुत खूबसूरत था, और बहुत जल्दी निकल गया। कहते हैं ना- "अच्छा समय निकलते समय नहीं लगता।"
लेकिन फिर एक समय ऐसा आया कि वह मुझसे दूर जाने लगा, उसके ट्रेन का समय हो चुका था। स्टेशन पर छोड़ने गए उसकी आंखों में भी आंसू मेरी आंखों में भी आंसू था। वह ट्रेन से निकल चुका था, बाद में घर आकर वीडियो कॉल में दोनों बहुत रोए।और रोते हुए उसने बोला - "जान एक बात पूछूं , मैं बोली हा बाबू पूछो-,तुमने मुझे इतने पसीने में गले से लगा लिया....तो क्या हुआ???,आपको पता नहीं मैं आपसे कितना प्यार करती हूँ,,, पसीने से क्या है???? वह तो हँस दिया और बोला बाबू - 'आई मिस यू यार', मैं बोली आप वापस आ जाओ, मैं नहीं रह पाऊंगी, फिर वो समझ रहा था ।
ये अब संभाल नहीं पाएगी तो खुद रोना बंद किया और मुझे हंसाने लगा। जिससे मुझे दुख न हो मुझे समझाया और शांत कराया । वह जाना आज भी याद आता हैं..... उसके बाद दोबारा कब मिलेंगे पता नहीं था ....….... ।
समय बहुत अच्छा, हँसी-खुशी से और हम दोनों के साथ से निकल रहा था और फिर 6 महीने बाद वह अपने घर जाने वाला था। उसकी तैयारी चल रही थी, वह बहुत खुश था क्योंकि इस बार घर जाऊंगा तो फिर बाबू से मिलूगा। घर आ गया लेकिन मेरा घर से निकलना संभव नहीं था .... तो हम दोनो नहीं मिल पाए .. लेकिन उसके जाने के समय हुआ और उसी समय मेरे साथ एक परेशानी आ गई थी । मैंने उसको बताया कि- " अब मैं आपसे दूर जा रही हूं। मेरा दूर जाना उसके दिल को कभी गवारा ही नहीं था।"
वह बहुत परेशान हुआ,उसे कुछ समझ में नहीं आया, उसने मुझसे बहुत पूछा -",क्या बात है?" लेकिन मैं उसे नहीं बता सकती थी।वह घर से निकल गया। ट्रेन के लिए मुझे बहुत खबराहट हो रही थी, मै अपनी दोस्त को कॉल की,और बोला उसको कॉल करके पूछो कहाँ है, और कैसा हैं ??? उसकी हालत सही नहीं थी...
उसने बोला कि अब तुमने मुझे कॉल किया तो मैं ट्रेन से कूद जाऊंगा,,, तो मै कॉल नहीं की और इंतजार किया उसके पहुंचने का जब वह कमरे में पहुंच गया। तब मैंने कॉल किया क्योंकि मुझे समय पता था कि वह किस समय तक पहुंच जाएगा। लेकिन उसकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी... उसने शराब नहीं लेने की कसम तो खाई थी लेकिन उसने कोई नशे की गोलियां ले ली थी।
मैंने उसे वीडियो कॉल किया वह नशे की हालत में था, मैंने उससे बात की उसने जो बात मुझे उस नशे में बोली थी वो आज भी मेरे दिमाग में घूमती हैं... उसका वो चेहरा। वह बहुत रोया और बोला बाबू मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता..., तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी तो मैं क्या करूंगा.., कैसे जिऊंगा नहीं जी सकता, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं मैंने भी उसे समझाया और बोला मैं भी बहुत प्यार करती हूं । अब चलो ये गोली फेंको और सो जाओ, वो मेरी बात कभी नहीं टालता था,वो उठा और सो गया। अब मेरी जान में जान आई थी।
कुछ दिन बाद बाबू के लिए एक रिश्ता आया उसने मुझे लड़की दिखाई, लड़की अच्छी थी,मैंने कहा हां कर दो, कब तक बैठे रहोगे मेरे लिए, बहुत मुश्किल से उसने हां की। लेकिन शर्त भी रखी कि मैं तुमको तब तक नहीं छोडूंगा जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जाती और तुम नहीं बोल देती कि अब शादी हो गई है तो अब बात नहीं कर सकते। मैंने उसको समझाया शादी के बाद सब कुछ बदल जाता है।
लेकिन वह नहीं माना???? मैंने कह दिया ठीक है, हम करेंगे बात,,,, उसकी सादी की तारीख तय हो गई होगी । लेकिन उसने मुझे नहीं बताया क्योंकि वो मुझे दुख नहीं देना चाहता था। अगले 7 दिन में शादी थी और मुझे दुख न हो.. इसलिए वह मेरे से दूर जा रहा था, मुझे नजर अंदाज कर रहा था , मुझे बहुत बुरा लग रहा था... मानो मेरी दुनिया खत्म होने वाली है।
बहुत रोती थी,बहुत तड़पती थी, उसके लिए, जब भी उसको फोन करो व्यस्त रहता था..और जब भी फ़ोन पर बात करे बहुत गुस्सा करता था,,,, जो उसने कभी नहीं किया,मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि वह ऐसा कर क्यों रहा है । मैंने बहुत बार कोशिश की जानने की लेकिन उसने मुझे बहुत समय बाद बताया मेरी शादी है और अब बात नहीं हो पाएगी। मुझे ये सुनकर बहुत बड़ा धक्का लगा... क्योंकि मैं उससे दूर जाने से बहुत डरती थी और आखिर में वही हुआ जो मैं नहीं चाहती थी।
धीरे-धीरे ..... समय आया और वह शादी के लिए चला गया मैंने उससे बहुत बार बात करने की कोशिश की.. लेकिन उसका ही एक दिन व्हाट्सएप पर रिकॉर्डिंग आई प्लीज मेरी शादी है मैं अपने भूतकाल को वर्तमान में नहीं लाना चाहता। तुम अपना ध्यान रखना, मेरे से जो गलती हो तो माफ करना,ये सुनकर मेरी आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
उसके जाने के बाद मुझे समझ आया कि पता नहीं कब वो मेरी जिंदगी का इतना अहम हिस्सा बन चुका था????? कि उसके बिना जीना मंजूर ही नहीं था,.. वो मानो मेरे शरीर का एक अंग बन चुका था,जिसके बिना जीना नहीं था मुझे, वो मेरी जिंदगी हैं,और मै बहुत रोती थी, बहुत याद करती थी। दोस्तों को फोन करती थी कि कुछ मन हल्का हो जाए लेकिन कहते हैं "ना दुख के समय कोई साथ नहीं देता कोई नहीं था जिससे मैं अपनी बात बोलूं , जिसके कंधे पर सर रखकर रो सकूं", रात रात भर रोती थी... सब कुछ मेरे अंदर था मैं क्या करती रोने के अलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था.... खुद को संभालना का। बस हर पल उसके इंतजार में रहते कि कभी तो उसका कोई sms या कॉल आएगा।
""यू कहूँ तो आंखें तरसती थी उसको देखने के लिए, कान तरसते थे उसको सुनने के लिए, जानना था कैसा है वो और सोचती थी भगवान ऐसा दर्द कभी किसी को मत देना, किसी को मिलाते हैं तो उनको बिछड़ने का दुख कभी नहीं देना।""
यूँ ही रोते-रोते समय बीत रहा था, लेकिन उसकी यादें मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी, मेरे शरीर की हालत खराब होती जा रही थी... फिर मैंने एक मानसिक रोग के डॉक्टर से बात की वह मैडम मेरे पहचान की थी। मैंने उनको सारी बात बताई उन्होंने मुझे बोला बेटा! तुम्हारी जिंदगी में इससे अच्छा आएगा।
"""इसलिए तुमको यह नहीं मिला तो अब आगे बढो... और जो तुम कर सकती हो वो काम करो और यदि तुमको लगता है तुमको बात करनी है तो मुझे फोन लगाया करो,और यदि मैं फोन नहीं उठाती हूं तो तुम कॉपी लेकर जो भी तुम्हारे मन में हो, जो भी मन मे आए जो तुम किसी को सुनाना चाहती हो उसको उसमें लिखा करो"""।
मैंने वैसा ही किया धीरे-धीरे करके मैंने काम में मन लगाना शुरू कर दिया,जब भी याद आती कापी पेन निकाल कर लिख लेती और रो लेती जिससे मन हल्का हो जाता था लेकिन कभी वो मेरी जिंदगी से गया ही नहीं और मैं चाह कर भी उसे खुद से दूर नहीं कर पाई, जितना दूर जाने की कोशिश करती थी उतनी याद आती।
मेरे सारे दोस्त मुझे बोलते उसको भूल जाओ लेकिन उसको भूलना संभव नहीं था मेरे लिए। वो मेरी जिंदगी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा, बहुत पहले ही बन चुका था। जिसको मैं चाहते हुए भी अलग नहीं कर सकती थी। जैसे:- "अपने शरीर के दो हाथों में से एक हाथ को अलग नहीं कर सकते ऐसे ही उसको अपनी जिंदगी से अलग नहीं कर सकते थे ।"
बस अब सिर्फ इंतजार करते थे कि कभी उससे बात हो जाए और सोचती थी कि वो कैसे मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया।और यहां तक कि वो मेरे घर कभी नहीं आया। लेकिन घर के हर कोने में उसकी यादें, घर के हर उस काम में उसकी यादें जो मैं करती थी जबकि वो मेरे घर कभी नहीं आया।
कोई किसी के जीवन का इतना अमूल्य हिस्सा कैसे बन जाता हैं ??? बस यही सोचते, समझते 1 साल बीत चुका, बस अब उसके लिए भगवान से ही प्रार्थना कर सकती हूं लेकिन दिमाग हमेशा बोलता था उसका कॉल अब कभी नहीं आएगा और दिल बोलता था आएगा बस फिर क्या दिमाग और दिल की बहस चल रही थी...
उसको अपनी जिंदगी का हिस्सा मानकर जीवन जी रही।और उसकी याद में लिखा हुआ पढ़ती तो आंखे भर आती..... लेकिन ठीक अब मैं फिर भी खुश हूं... क्युकी उसका एहसास, उसकी यादें और मै जानती हूं। आज भी वो मेरे साथ हैं, इसी एहसास के साथ जी रही हूं। वैसे मैं एक बात हमेशा अपने दोस्तों को बोलती हूं की तुम लोग बोलते हो भूल जाओ:-
""जानते हो अभी तक मैं क्यों नहीं भूल पाई उसे क्योंकि हमारा प्यार सच्चा है और उसने मुझे कभी कोई दुख नहीं दिया ,वो मेरी जिंदगी हैं,वो मेरा सब कुछ हैं...........।"
लेखिका :- सुरभि जैन
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कविता पढ़ने के बाद अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करायें। नीचे कमेंट जरूर कीजिये, आपका विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
8 टिप्पणियाँ
इस कहानी को पढ़ना या इसमे टिप्पणी करना सही नही , इस कहानी में खो जाना , जीना , इसकी कीमत बयान करता है !! बहुत अच्छी तरह लिखा गया है इसे , कुछ ऐसी ही कहानी है मेरे करीब भी ।।
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार बहुत बहुत धन्यवाद आपका
हटाएंदोस्त आप जानते है हमने भी आपसे कुछ समय पहले अपनी लव स्टोरी शेयर किये थे।।। लगभग लगभग एक समान ही है।। इस दर्द को हम समझ सकते हैं क्योंकि प्यार क्या होता है किसी ने हमे भी सिखाया था।। और हमने उसे खुद से दूर कर दिये।। अब तो उनकी शादी भी हो गयी हैं।। हम दुआ करते हैं कि हमसे जुड़े सभी लोग हमेशा हैप्पी रहें।।।
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल आप और आपसे जुड़े लोग हमेशा खुश रहें
हटाएंइस कहानी में आपकी मेहनत नजर आ रही है ।समय कम होने के कारण मुझे इसे पड़ने में दो दिन लगे तो अपने इसे लिखने में कितनी मेहनत की होगी ।ये कहानी आज लगभग किसी न किसी की लड़की की जिंदगी से जुड़ी हुई लगती है।
जवाब देंहटाएंजी आपने समय निकाला इसके लिए आपको बहुत बहुत आभार
हटाएंऔर बस आप सब का सहयोग और प्यार इस प्रकार ही मिलता रहे
धन्यवाद
लाइफ में होता हैं सब को एक बार, happy मूमेंट को याद रखो बाकी सब भूल जाओ
जवाब देंहटाएंजी आपकी सलाह ध्यान रखूंगी
हटाएंधन्यवाद