गन्ने के रस का अचूक फायदा | ganne ke juice ke fayde aur nuksan in hindi

गन्ने के रस का अचूक फायदा | ganne-ke-juice-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi
   

गन्ने के फायदे,सेवन करने के तरीके | Ganne ke Fayde,Seven ke Tarika| प्राकृतिक चिकित्सा | आयुर्वेदिक चिकित्सा | Naturopathy

      जब कोई व्यक्ति प्रकृति के पास जाता है  तो  निश्चित ही कुछ न कुछ उपहार वह पाता ही है,आज हम जानेंगे ऐंसी ही एक मिठावन और प्राकृतिक गुणों से भरपूर,रसों से भरा हुआ रसाहार, विशेषकर - जीवन ऊर्जा के वर्धन से भरे हुए इस उपहार को मनुष्य ही की क्या ?? मनुष्य के साथ साथ अन्य योनियों में जन्में पशु-पक्षी इत्यादि भी इस प्रकृति के उपहार की मीठावन का रसस्वादन करके अपने आप को आनन्द से पूरित और मन को सन्तुष्ट कर लेते हैं । इसके रस में अद्भुत रहस्य छुपा हुआ है। चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद चिकित्सा हो चाहे प्राकृतिक चिकित्सा हो सभी मे इसकी शारीरिक अनुकूलता, मानसिक शांति से सम्बंधित विषय को विशेष रूप से प्रस्तूत किया गया है। और शरीर की कुछ सूक्ष्म से सूक्ष्म व्यवस्था को गन्ने के प्राकृतिक गुणों से ठीक किया जा सकता है इसका भी शोध  किया गया है।

गन्ना ग्यारस | Ganna gyars | देव उठनी एकादशी | Dev Uthani Ekadashi | प्रबोधनी एकादशी | Prvodhni Ekadashi

           भारतीय दूरद्रष्टा संतो ने बड़े ही गहरे शोध के बाद जीवन के उत्सव में संपूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए प्रकृति को उत्सव से हर बार जोड़ने का प्रयास किया है , जिससे मानव प्रकृति के करीब रहे प्रकृति से लाभ ले और अधिक से अधिक समय प्रकृति के पास अनुभव करें इस हेतु महर्षियों एवं चिंतकों ने एक व्यवस्था का जन्म दिया,इस व्यवस्था को एक परम्परा के रूप में बड़े प्रेम से उन्होंने नाम दिया,गन्ना ग्यारस , (Dev Uthani Ekadashi) , प्रबोधनी एकादशी देवउठनी  एकादशी ।

          जिसका उचित समय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को सबसे बड़ी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देव-शयन हो जाता है और फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन, चातुर्मास का समापन होता है।

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           (Dev Uthani Ekadashi),प्रबोधनी एकादशी विशेष नक्षत्रों का योग होने की दशा में यह तिथि जया,विजया,जयन्ती तथा पापनाशिनी के नाम से जानी जाती है। 

शुक्ल पक्ष की एकादशी यदि पुनर्वसु नक्षत्र में आए तो इसको जया कहते हैं। 

शुक्ल पक्ष की ही द्वादशीयुक्त एकादशी यदि श्रवण नक्षत्र में हो तो इसको विजया कहते हैं। 

रोहिणी नक्षत्र पर आने वाली एकादशी जयन्ती कहलाती है।

पुष्प नक्षत्र में आने वाली एकादशी पापनाशिनी कहलाती है। इन सभी तिथियों का अलग-अलग महत्व हैं।

         देवउठनी ग्यारस पर लोग बड़े उत्साह से अपने देव को प्रेम और स्नेह से  कहते हैं 'उठो देव-बैठो देव, पांवरिया चटकाओ देव' की प्रार्थना के साथ देव उठाए जाते हैं। इस दौरान गन्‍नों और ज्वार के भुट्टों का मंडप सजाया गया, जिसकी परिक्रमा देकर देवों को उठाया जाता है । इस दौरान तुलसी-सालिगराम का विवाह भी कराया जाता। 

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अब आगे जानते हैं गन्ना में छुपे औषधीय रहस्य को

इस तरह परंपराओं के सुक्ष्म से सूक्ष्म स्तर पर मनीषियों ने चिंतन किया,मनन किया और गन्ना, तुलसी,ज्वार के भुट्टे इत्यादि को इन परंपराओं से जोड़ा गया है।

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आयुर्वेद के अनुसार गन्ना का उपयोग (Use of sugarcane according to Ayurveda  )

भारतीय आयुर्वेद की रौनक धनवंतरी जी हैं, जिनके प्रिय शिष्य शल्य चिकित्सा के जनक आचार्य सुश्रुत जी ने भोजन के छ: प्रकार गिनाए हैं जो इस प्रकार हैं :- 

चूष्म, 
पेय,
लेह्य,
भोज्य,
भक्ष्य,
चर्व्य,

            महर्षि सुश्रुत जी के अनुसार पाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं।

            फिर इसी क्रम से उनकी सुपाच्यता कम होती जाती है और चर्व्य पदार्थ सबसे कम सुपाच्य होते हैं। 

            गन्ना का लेटिन नाम - सैकेरम औफिसिनेरम (Saccharum officinarum) है।

        गन्ने के रस के सेवन से पित्त विकार नष्ट होते हैं। गन्ने का रस स्नायुओं की क्षीणता को नष्ट करता है। अम्ल-पित्त में गन्ने के रस का सेवन करने से बहुत लाभ होता है। 

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गन्ने के मिठास का प्रमुख स्रोत इस प्रकार हैं :-

             आचार्य सुश्रुत जी के अनुसार सेवन किये गए पदार्थ  के पहले वर्ग में,गन्ने का रस,शरबत,फलों के रस पेय पदार्थ हैं। 

 लेह्य, दाल-भात भोज्य, चटनी-सौंठ-कढ़ी, लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य और चना-परवल,मूंगफली चर्व्य हैं।

          बाल्यावस्था का गन्ना कफ बढ़ाने वाला, मेदा बढ़ाने वाला और प्रमेह रोग को नष्ट करने वाला होता है। युवाअवस्था का गन्ना वायुनाशक,स्वादु,कुछ-कुछ तीखा और पित्तनाशक होता है। पकने पर वह रक्तपित्त का नाश करता है, घावों को भरता है और बल-वीर्य में वृद्धि करता है। गन्ने के जड़ की ओर का नीचे का भाग अत्यंत मधुर, रसयुक्त और मध्य भरंथि या पंगोली में नुनखारा रस रहता है। 

पढियेगा आइए जानते हैं सम्पूर्ण विश्व के एक अद्वतीय रहस्य मय शब्द का तात्यपर्य जो हिंदुओ के सम्प्रदाय का अत्यंत ही उपयोगी शब्द है जो जीवन और म्रत्यु को नाच से भर देता है ।

अब जानते हैं

गन्ना के अलग-अलग नामों को

(गन्ना)Sugarcane in Hindi1– पुण्डिया, पोण्डा, गन्ना, ईख, ऊँख

Sugarcane in Sanskrit2– पुण्ड्रक, अधिपत्र, असिपत्र, इक्षु, रसालु, विपुल रस, दीर्घच्छद, गुडमूल

Sugarcane in English3– शुगरकेन, नोबॅल केन (Noblecane), नॉर्थ इण्डियन शुगरकेन (North Indian sugarcane)

Sugarcane in Uttarakhand4– रिखू (Rikhu)

Sugarcane in Urdu5– गन (Gan)

Sugarcane in Oriya6– आकु (Aaku), गूडोदारु (Gudodaru)

Sugarcane in Konkani7– उन्य (Uny)

Sugarcane in Kannada8– इक्षु (Ikshu), इक्षुदण्ड (Ikshudand)

Sugarcane in Gujarati9– नैशाकर(Neishakar), सेर्डी (Serdi)

Sugarcane in Tamil10– पुण्ड्रय (Pundrya), कन्नाल (Kannal)

Sugarcane in Telugu11– अरुकनूपूलारूनुगा (Arukanupularunuga), इंजू (Inju)

Sugarcane in Bengali12– आक (Aak), गन्ना (Ganna)

Sugarcane in Punjabi13– गन्ना (Ganna), ईख (Ikha)

Sugarcane in Malayalam14– दर्भेशु (Darbheshu), इक्षु (Ikshu)

Sugarcane in Marathi15– आओस (Aaose), कब्बी (Kabbi)

Sugarcane in Manipuri16– चू (Chu)

Sugarcane in Nepali17– उखू (Ukhu)

Sugarcane in Arabic18– कसबीशकर (Kasbishkar)।

         गन्ने में फैट होता ही नही है, वास्तव में यह एक 100% प्राकृतिक पेय है। इसमें लगभग 30 ग्राम प्राकृतिक चीनी है। इसलिए मिठास के लिए इसमें आपको अतिरिक्त चीनी मिलाने की ज़रूरत नहीं है। एक गन्ने का पौधा 30 फीट तक बढ़ सकता है। जलवायु के आधार पर, एक गन्ने के पौधे पकने में 9-24 महीने लग सकते हैं। गन्ने के रस से प्राप्त चीनी में केवल 15 कैलोरी होती है।

          गन्ने का रस सूक्रोज, फ्रुक्टोज़ और कई अन्य ग्लूकोज किस्मों का मिश्रण है। इसलिए यह स्वाद में मीठा है। 8 औंस गन्ने के रस में 180 कैलोरी होती है, जो काफी कम है। एक गिलास गन्ने के रस में कुल 13 ग्राम फाइबर होता है, जो शरीर के कई कार्यों को पूरा करने में आवश्यक है।

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गन्ने की रस की तासीर - Ganne ke juice ki taseer in Hindi

गन्ने के रस की तासीर ठंडी होती है। इसलिए इसे गर्मियों में पिने की सलाह दी जाती है और गर्मियों में इसका सेवन करना ज़्यादा फायदेमंद रहता है। गन्ने के रस का उपयोग स्वास्थ से जुड़े और भी कई फायदों के लिए करना चाहिए।

Ganne ka juice peene ka uchit samay in Hindi गन्ने का रस पिने का उचित समय - 

कसरत करने के बाद गन्ने का रस पीना शरीर के लिए ज़्यादा लाभदायक होता है। कसरत करने के बाद इसे पिने से शरीर में ज़्यादा ऊर्जा आती है।

जल्दी लेख पर पहुंचे :- इस नवरात्री में मां के पास पहुंचने के रहस्य की अनूठी प्रस्तूती - इसे जान लिया तो मन और तन निश्चित ही आराधना में हो जाएंगे संलग्न। आइए शक्ति के साथ हो जाएं,आइए लेख और आप एक हो जाएं ।

Sugar Cane Juice for Energy Drink in Hindi    गन्ने के जूस का उपयोग करे तत्काल ऊर्जा के लिए - 

यदि आप जल के आभाव का अनुभव कर रहे हैं, तो गन्ना का रस तत्काल ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत है। यह आपको ताजा और चार्ज करने के लिए और मूड को उठाने में सक्षम है।

गन्ने में सरल शर्करा (सुक्रोज) होता है जो आसानी से आपके शरीर द्वारा अवशोषित होते हैं। शरीर में खो हुए शर्करा के स्तर को पुनः प्राप्त करने के लिए इस शर्करा का उपयोग किया जाता है।

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गन्ने के रस का लाभ करे वजन कम करने में मदद - Sugarcane Juice Helps to Reduce Weight in Hindi

हालांकि यह एक मिठाई है, लेकिन फिर भी गन्ना का रस कुछ अतिरिक्त वजन को कम करने में मदद कर सकता है। गन्ने का रस हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए जाना जाता है, जो वज़न के लिए मुख्य कारण है। इसमें फाइबर भी अधिक मात्रा में पाया जाता है जो हमें अपना वजन कम में मदद करता है।

एसिडिटी को शांत रखें गन्ने का रस - Sugarcane Juice for Acidity in Hindi

चूंकि गन्ने का रस प्रकृति में क्षारीय है, यह हमारे पेट और आंतों में एसिडिटी और जलन को शांत कर सकता है। यह हमारे शरीर में एसिड-बेस बैलेंस बनाए रखने में भी मदद करता है।

एक जबरदस्त विषय जरूर पढ़िये जो आपको  स्वयं के साथ चलने की अद्भुत शक्ति प्रदान करता है ।

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गन्ने का विशेष उपयोग 

गर्भवती महिला के लिए गन्ने का रस सर्वोत्तम आहार है  - Ganne ka Juice in Pregnancy in Hindi

          गन्ने का रस सुरक्षित गर्भधारण की सुविधा प्रदान करता है,इस लिए गर्भवती महिला के लिए उत्तम रसाहार है।

          क्योंकि इस अद्भुत रस में "फोलिक एसिड" और "विटामिन बी 9 " पाया जाता है जो "स्पाइना बिफिडा" जैसे तंत्रिका जन्म दोषों से रक्षा के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, शोध में गया पाया है कि गन्ना का रस महिलाओं की समस्याओं को कम कर देता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

प्राकृतिक चिकित्सा | आयुर्वेदिक चिकित्सा | 

गन्ना का रस (sugarcane juice),

गन्ना से बनी मिश्री या शक्कर,

गन्ना से बना गुड़,

गन्ना की जड़ का काढ़ा अत्यंत ही उपयोगी है,

आइए पढ़ते हैं - हो जाएं तैयार जीवन को बदलना है,समझें रहस्य को क्योंकि सफल हमकों होना है।
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एक नियम जीवन मे बनाएं :- 

            भोजन के बाद गन्ने के शुद्ध रस से निर्मित बिना मिलावटी गुड़ का सेवन करें, जिससे आहार अच्छी तरह पच जाता है।एक वर्ष पुराना गुड़,नए गुड़ की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है।

गन्ना से घर मे चिकित्सा खुद से ही कर लीजिए कैसे आइये जानते हैं :-

कूकर खाँसी–  कच्ची मूली का रस एक छटाक (62 ग्राम) एक गिलास गन्ने के रस में मिलाकर दिन में दो बार पीने से कूकर खांसी में कमी आती है। 

छाती में घवराहत –एक गिलास गन्ने का रस नित्य दो बार छाती की घबराहट जाती रहती है।

रक्तातिसार— सुबह-शाम एक कप गन्ने के रस में आधा कप अनार का रस मिलाकर पीने से रक्तातिसार मिटता है। 

मासिक धर्म खुलकर न आना- मासिक धर्म के दिनों में पाँच चम्मच गन्ने का निरका सोने से पूर्व लें। मासिक धर्म सही हो जाता है। 

पथरी- गन्ना चूसते रहने से पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। रस शरीर के लिए लाभ दायक भी है।

रक्तविकार- खाने के बाद एक गिलास गन्ने का रस पीने से रक्त साफ होता है। गन्ना ने के लिए हितकर है।

पित्त की उल्टी- पित्त की उल्टी होने पर एक गिलास गन्ने के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से लाभ होता है। 

हिचकी - गन्ने का रस पीने से हिचकी बन्द हो जाती है।

गर्मियों के मौसम में गन्ने के रस का उपयोग

             गर्मियों के मौसम में गन्‍ने का रस पीना हर क‍िसी को खूब सुहाता है। वहीं सर्दियों में लोगों को गन्‍ने को चबाना ज्‍यादा मजेदार लगता हैं। दोनों ही विधि में गन्‍ना,सेहत के ल‍िए फायदेमंद होता है। गन्‍ने का रस पीने के अनगिनत फायदे तो आपको निश्चित ही पहले से ही मालूम हैं लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं? क‍ि गन्‍ना चबाने से मौखिक स्‍वास्‍थ से जुड़ी कई समस्‍याएं दूर भी होती हैं?? तो अब आइए जानते हैं क‍ि कैसे गन्‍ना चबाना है मुंह के ल‍िए अत्यंत ही उपयोगी ?

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जबड़ों के ल‍िए अच्छा व्यायाम है।

               गन्ना को दांतों से तोड़ने,छीलने और इसे चबाने की प्रक्रिया से जबड़ों का व्यायाम होता है, जिससे मसूड़े मज़बूत बनते हैं। साथ ही गन्ने के रेशों में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो, दांतों के लिए Natural flash की तरह काम करते हैं। ये दांतों के बीच अटकी गंदगी को साफ करते हैं। जिससे, दांत सुंदर और स्वस्थ दिखाई पड़ते हैं।

मुख के मसूड़े रहते है स्‍वस्‍थ

                गन्ने को चबाने से सलाइवा या लार का निर्माण अच्‍छी मात्रा में होता है। यह सलाइवा गन्ने में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलकर ऐसे एंजमाइम्स का न‍िर्माण करते हैं जो दांतों और मसूड़ों को मज़बूत बनाते हैं।

             खास बात तो यह है कि गन्ने में मौजूद विटामिन सी चेहरे के ल‍िए कोलाजन बनाने का काम करते हैं। जिससे,मसूड़ों मजबूत होते हैं।

गन्ना को चबाओ सांसों की बदबू भगाओ :-

            गन्‍ना चबाने से सलाइवा या लार का न‍िर्माण होता है। ज्‍यादा सलाइवा यानी सांसों की दुर्गंध दूर होती है। गन्ने को चबाने या इसका रस पीने से सांसों की दुर्गंध दूर होती हैं। जैसा कि, गन्ने में पौटैशियम और मिनरल्स होते हैं, जो विरोधी जिवाणुओं की तरह काम करते हुए सांसों की बदबू को दूर करता है। और सांस की बदबू बढ़ाने वाले बूरे जिवाणुओं का खात्‍मा करता है।

दांतों की होती है सफाई

          गन्ने में कैल्शियम,पोटैशियम,आयरन,मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं इसे चबाकर खाने से ये दांतों की समस्‍याओं को दूर करता है। इसे अच्‍छे से चबाकर खाने से दांतों की सफाई भी खूब होती है।

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गन्ने के रस के सेवन में सावधानियां 

            फूड पॉइजनिंग का खतरा इससे काफी बढ़ जाता है। इसमें पाए जाने वाले तत्व अल्कोहल जैसा असर पैदा करते हैं। इसलिए अगर आपका काम आपसे जागरूकता मांगता है, या जिसमें शरीर और दिमाग का संतुलन जरूरी हो तो गन्ने के रस का ज्यादा मात्रा में सेवन न करें। ज्यादा मात्रा में इसे पीना सिरदर्द, सिर घूमना जैसी परेशानियां देता है।

यद्दपि गन्ने का रस किसी भी जोखिम का कारण नहीं है, यह आमतौर पर तैयार की जाने वाली स्थितियों पर निर्भर करता है। यहां कुछ चीजें हैं जिनके बारे में आपको जागरूक होना चाहिए:

एक सड़क के किनारे की दुकान में गन्ने के रस का एक गिलास पीना सबसे आसान विकल्प लगता है हालांकि, अगर यह अस्वस्थ स्थितियों में तैयार किया जाता है जिससे यह दस्त का कारण  बन भी सकता है। इसका कारण यह है कि गन्ने का रस सूक्ष्मजीवों के लिए सबसे अच्छा प्रजनन स्थल माना जाता है।

15 मिनट से अधिक समय तक फ्रिज के बाहर रखें हुए गन्ने के रस को कभी नहीं पीना चाहिए क्योंकि आपके पेट और आंतों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।

बहुत देर पहले निकला हुआ गन्ने का रस ख़राब हो जाता है। इसमें नुकसानदेह टॉक्सिन पैदा हो जाते हैं अतः उसे नहीं पीना चाहिए।

सुनिश्चित करें कि जिस स्टॉल से आप पेय खरीदने की योजना बना रहे हैं, उसकी गन्ने की मशीन पर ज्यादा तेल का उपयोग नहीं किया गया हो क्योंकि तेल आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

दैनिक रूप से दो गिलास से अधिक गन्ने के रस का सेवन ना करें इससे आपके शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।

एक दिलचस्प रहस्य शब्दों का जादू जरूर पढ़िये

कुछ प्रयोग जीवन मे सीख लिया जाये

1):- अब चहरे के  मुंहासों से बनेगी दूरी ध्यान रखनें गन्ना है जरूरी 

          गन्ने का रस अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड (AHA) का अच्छा स्रोत है, तो त्वचा के लिए खास तत्व माना जाता है। अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड में ग्लाइकोलिक एसिड, लैक्टिक एसिड, मैलिक एसिड, टार्टरिक एसिड और साइट्रिक एसिड मौजूद होते हैं, जिनका कॉस्मेटिक उत्पादों में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। मुंहासों से निजात दिलाने में ये एसिड अहम भूमिका निभा सकते हैं ।

सामग्री :

गन्ने का रस (आवश्यकतानुसार),
मुल्तानी मिट्टी (आवश्यकतानुसार),

विधि :

मुल्तानी मिट्टी में गन्ने का रस डालकर पेस्ट बना लें।
अब अपने चेहरे और गर्दन पर यह पेस्ट लगाएं।
लगभग 20 मिनट तक चेहरे पर पेस्ट लगा रहने दें और बाद में ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
इस उपाय को हफ्ते में एक-दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।

2):- स्किन एजिंग

त्वचा पर यूवी किरणों और फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण दिख सकते हैं। इन लक्षणों में झुर्रियां व पिगमेंटेशन आदि शामिल हैं। इनसे आराम पाने के लिए प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। गन्ने के रस में समृद्ध मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स का प्रभाव कम करने में सहायक हो सकते हैं। गन्ने के रस का सेवन स्किन कैंसर से बचाने में भी सहायक हो सकता है। 

सामग्री :

2-3 चम्मच गन्ने का रस
चुटकी भर हल्दी

विधि :

गन्ने के रस में हल्दी को मिलाएं।
इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और 10-12 मिनट के लिए छोड़ दें।
अब चेहरे को गुनगने पानी से धो लें।
यह उपाय सप्ताह में दो बार कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक गुणवत्ता से युक्त रस निर्माण :-

 गन्ने का रस बनाने की विधि

इस तरीके से भी गन्ने का रस घर में बनाया जा सकता है।

सामग्री :

एक गन्ना,

एक बड़ा चम्मच अदरक कटा हुआ,

नींबू का रस स्वाद के लिए,

काला नमक स्वाद के लिए,

विधि :

गन्ने का छिल्का उतारकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।

अब ब्लेंडर में सभी सामग्रियों को डालें और कुछ देर तक अच्छी तरह ब्लेंड करें।

अब अपने हाथों की मदद से ब्लेंड सामग्री से रस निचोड़कर गिलास में डालें।

निकाले गए रस को कुछ देर ठंडा करें और उसमें स्वाद के अनुसार काला नमक व नींबू का रस मिलाकर पिएं।।

अब सभी विषय को ध्यान में रखकर पूर्ण खुशी,प्रसन्नता से प्रकृति के इस उपहार को स्वीकार कीजिये,पीजिये,पिलाइये लेकिन स्वयं की शारीरिक प्रकृति को ध्यान में रखकर। 

एक रहस्य खुलने वाला है जरूर देखिए - हो जाइए तैयार अब संकल्प कभी भी विकल्प न हो सकेगा,अब आपका संकल्प हमेशा आपके साथ होगा,कैसे??

गन्ना के रस का रसाहार कीजिये,

        जीवन को शीतलता से भर लीजिये।

अब न होगी पेट मे अम्लता,

         और न होगी मानसिक अशांति।

इस जादुई रस को अल्पाहार के रूप में कुछ दिन नियमित ले लीजिए।।

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