उपवास का रहस्य,Secret of fasting

 उपवास का रहस्य,Secret of fasting

उपवास का रहस्य,Secret of fasting

             'लंघन्‌म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को सबसे अच्छी औषधि माना जाता है। ईश्वर के पास बसने की ऊत्तम व्यवस्था का हिस्सा है "उपवास"। उपवास का रहस्य,Secret of fasting पेट के रोगों में उपवास चिकित्सा का सर्वाधिक महत्व है। रोगी की अवस्था के अनुसार अर्ध उपवास, एकाहार रसोपवास, फल उपवास, मठ्ठा उपवास कराया जाता है। पूर्ण उपवास में सादे जल के अलावा कुछ नहीं दिया जाता है - इसी विषय को ध्यान में जानकर ऋषियों ने,मनिषियों ने पूर्ण व्यवस्था से अध्यात्म और विज्ञान का समावेश किया और मानव जाति का दिशा निर्देश करते हुए,उपवास में स्वयं को कैसे जानतें है,आराधना कैसे करते हैं,विधि क्या है,लाभ क्या है,इन सब को ध्यान में रखकर बड़ी ही अद्भुत शैली का चित्रण किया है।उपवास का रहस्य,Secret of fasting

उपवास और प्राकृतिक चिकित्सा 

उपवास विधि :-

      1)  मानसिक रूप से स्वयं को तैयार करे तथा शारीरिक द्रष्टि से प्रारम्भ में दो दिन भोजन की मात्रा आधी कर दें। सब्जिया तथा फल बढा दें।

     2)एक दो दिन एक समय केवल रोटी, सब्जी, सलाद ले तथा दुसरे समय केवल फल ले।

     3)एक से तीन दिन फलाहार, फिर एक से तीन दिन रसाहार, पुनः एक से तीन दिन नीम्बू का पानी व शहद पर रहे।

    4)रोगी की शारीरिक, मानसिक अवस्था को देखते हुए दो तीन दिन तक संतरे के रस पर रह कर सीधे उपवास पर आ जाए।

     5)उपवास के दोरान मल सूख जाता है। उपवास के पहले नाशपाती, आवला, करेले के रस से पेट को पूर्ण साफ़ कर लेना चाहिए।

     6)उपवास के दोरान एनिमा, मिटटी पट्टी, मालिश, धुप स्नान, टहलना, आसन, प्राणायाम आदि चिकित्सा रोग के अनुसार ले।

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आयुर्वेद और उपवास

           नवरात्र प्रकृति के परिवर्तन का सूचक है। बसंत और ग्रीष्म ऋतु का संधिकाल होने की वजह से नौ दिनों के उपवास का स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष महत्व है। चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्र ऋतुओं के संधिकाल में ही होते हैं। आयुर्वेद की दृष्टि से इसका बहुत महत्व है। चरक संहिता में ऋतुओं के संधिकाल और परिवर्तन के दौर को स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। उपवास का रहस्य,Secret of fasting

          ऋषियों ने चिन्तकों ने गहन शोध में पाया कि चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्र ऋतुओं तथा इनके अलावा भी जब भी दो ऋतुओं का संधिकाल होता है तब सूर्य का प्रभाव बढ़ने से शारीरिक बल कम होने लगता है। ऐसे में खानपान में सावधानी बरतना अपेक्षित हो जाता है। इस समय प्रकृति परिवर्तन काल में है। खानपान के मामले में प्रकृति की पुकार को न सुना तो बीमार पड़ सकते हैं। इसीलिए लोग नवरात्र में,तथा सन्धिकाल मे  उपवास रखकर अपने शरीर को प्रकृति के बदलाव के साथ सामन्जस्य बिठाते हैं।

         दरअसल नवरात्र के प्रति युवाओं में भी काफी उत्साह है। इसकी वजह सिर्फ भक्तिभाव ही नहीं बल्कि नौ दिनों तक उपवास रखकर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का सूत्र भी है। 

उपवास का चिकित्सकीय रूप समझना चाहिए

          आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्‌म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता। उपवास का रहस्य,Secret of fasting

          चरक संहिता से लेकर आज के शरीर विज्ञानी भी मानते हैं कि उपवास का चिकित्सीय महत्व भी है। उनका मानना है कि सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास रखने से पाचन-तंत्र दुरूस्त रहता है। उपवास का रहस्य,Secret of fasting दरअसल भोजन को पचाने में पाचन-तंत्र को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण उसे आराम करने का समय नहीं मिल पाता और पाचन क्रिया सुस्त पड़ने लगती है। उससे भोजन पर्याप्त ढंग से नहीं पच पाता। फलतः अनेक व्याधियाँ जैसे कब्ज, अम्लपित्त, गैस बनना, मधुमेह, मोटापा आदि अन्य जन्म लेने लगती हैं। इन सबसे छुटकारा पाने के लिए शरीर विज्ञानी सप्ताह में एक बार उपवास रखने की सलाह देते हैं।

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उपवास और रोग मुक्ति

         यह आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, हमेशा बनी रहने वाली थकान, कोलाइटिस, स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल बॉवेल, लकवे के कई प्रकारों के साथ-साथ न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों में फायदेमंद साबित होता है। माना तो यहाँ तक जाता है कि इससे कैंसर की बीमारी तक ठीक हो सकती है क्योंकि उपवास से ट्यूमर के टुकड़े तक हो जाते हैं। 

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उपवास से सावधानी

ध्यान रखें कि यह नहीं भूलना चाहिए कि लीवर के कैंसर में उपवास कारगर नहीं होता।

       गर्भावस्था, डायबिटीज, अल्सर, एसिडिटी या ज्यादा कमजोरी की स्थिति में उपवास नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भवती महिलाओं को इस समय ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। 

       वहीं डायबिटीज के मरीजों को थोड़े-थोड़ें अंतराल में कुछ न कुछ खाना होता है वरना उनकी शुगर लो हो सकती है। अगर फिर भी उपवास करना हो तो विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही करें।

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उपवास का रहस्य,Secret of fasting   

योग का रहस्य उपवास से

         आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह आंतरिक अन्‍वेषण है। योग जानता है कि अगर हमको भूख लगती है तो भूख पेट में ही अनुभव नहीं होती है। जब प्‍यास लगती है, तो वह ठीक-ठीक गले में ही अनुभव नहीं होती। पेट मस्‍तिष्‍क को भूख की सूचना देता है। और फिर मस्‍तिष्‍क हम तक इसकी सूचना पहुँचाता है। उसके पास कुछ अपने संकेत होते है।

           उदाहरण के लिए,

         जब हमें प्‍यास लगती है, तो मस्‍तिष्‍क ही गले में प्‍यास की अनुभूति को जगा देता है। जब शरीर को पानी चाहिए होता है, तो मस्‍तिष्‍क गले में प्‍यास के लक्षण जगा देता है। और हमको प्‍यास लगने लगती है। जब हमें भोजन चाहिए होता है, तो मस्‍तिष्‍क पेट में कुछ निर्मित करने लगता है। और हमें भूख सतानें लगती है।

         आप जानते होंगे,कि आप मस्‍तिष्‍क को बड़ी आसानी से धोखा दे सकते हैं। उपवास के समय एक प्रयोग करें कि- पानी में शक्‍कर घोलकर भी पी लें और भूख शांत हो जाती है। क्‍योंकि मस्‍तिष्‍क केवल शक्‍कर की ही बात समझ सकता है। तो इसलिए अगर शक्‍कर खा लें,या पानी में शक्‍कर घोलकर पी लें  तो तुरंत मस्‍तिष्‍क को यह लगने लगता है कि अब कुछ और नहीं चाहिए। भूख मिट जाती है। इसीलिए जो लोग बहुत ज्‍यादा मीठे पदार्थ खाते हैं।उनकी भोजन में रूचि समाप्‍त हो जाती है। शक्‍कर की थोड़ी सी मात्रा से पोषण नहीं हो सकता है। लेकिन मस्‍तिष्‍क में भ्रम बन जाता है। शक्‍कर खाकर व्‍यक्‍ति मस्‍तिष्‍क तक यह सूचना पहुंचा देता है कि उसने कुछ खा लिया है। तत्‍क्षण मस्‍तिष्‍क को लगता है कि आपने खूब खा लिया है। और शरीर में भोजन में शक्‍कर की मात्रा ज्‍यादा हो गयी है। आपने तो प्रयोग काल मे शक्‍कर की गोली ही खायी है, इस तरह से मस्‍तिष्‍क को एक भ्रम निर्मित हो जाता है।

अब जानते हैं कि,उपवास के बारे में योग के प्रयोग क्या कहते हैं -

      योग ने यह बात खोज ली है कि किन्हीं सुनिश्‍चित केंद्रों पर संयम संपन्‍न करने से चीजें तिरोहित हो जाती है। उदाहरण के लिए अगर कोई कंठ पर संयम ले आए, तो उसे न तो प्‍यास लगेगी, और न ही भूख लगेगी। इसी तरह से योग साधक लंबे समय तक उपवास कर लेते थे। महावीर के लिए ऐसा कहा जाता है। कि वे कई बार तीन महीने, चार महीने तक निरंतर उपवास करते थे। जैन सम्प्रदाय के अनुसार,एक बात आप समझ ही लीजिए कि-जब महावीर अपनी ध्‍यान और साधना में लीन थे, तो कोई बारह वर्ष की अवधि में करीब ग्‍यारह वर्ष तक वे उपवासे ही रहे, भूखे ही रहे। तीन महीने उपवास करते और फिर एक दिन थोड़ा आहार लेते थे। फिर एक महीने उपवास करते और बीच में दो दिन भोजन ले लेते। इसी तरह से निरंतर उनके उपवास चलते रहते। तो बारह वर्षों में कुल मिलाकर एक वर्ष उन्‍होंने भोजन किया । इसका अर्थ यह हुआ कि बारह दिन में एक दिन भोजन और ग्‍यारह दिन उपवास।उपवास का रहस्य,Secret of fasting

      बड़ा आश्चर्य यह है होता है कि वे ऐसा कैसे करते थे? यह बात तो असंभव ही मालूम होती है। सामान्य प्राणी के लिए यह असंभव जैसा लगता है। लेकिन योगियों के पास कुछ रहस्‍य है।

      जीवन मे कभी कभी कुछ -कुछ प्रयोग जरूर करते रहना चाहिए,अगर कोई व्‍यक्‍ति कंठ में एकाग्र रहता है। तब यदि आपको प्‍यास लगे, तो अपनी आंखें बंद कर लेना,और अपना पूरा ध्‍यान कंठ पर एकाग्र कर लेना। जब पूरा ध्‍यान उसी में स्‍थित हो जाता है। तो आप पाओगे कि कंठ एकदम शिथिल हो गया। क्‍योंकि अब आपका पूरा ध्‍यान किसी चीज पर एकाग्र हो जाता है। तो आप उस से अलग हो जाते हो। कंठ में प्‍यास लगती है, और हमें लगता है जैसे मैं ही प्‍यासा हूं। अगर आप प्‍यास के साक्षी हो जाओ, तो अचानक ही आप प्‍यास से अलग हो जाओगे।शायद ही आपको पता हो कि प्‍यास के साथ जो आपका तादात्म्य हो गया थ वह टूट जाएगा। तब आप जानोंगे कि कंठ प्‍यासा है। आप प्‍यासे नहीं हैं । और आपके बिना आपका कंठ कैसे प्‍यासा हो सकता है।उपवास का रहस्य,Secret of fasting

     कभी खुद से विचार करिये क्‍या आपके बिना शरीर को भूख लग सकती है? क्‍या किसी मृत आदमी को कभी भूख या प्‍यास लगती है? चाहे पानी की एक-एक बूंद शरीर से उड़ जाए, शरीर से पानी की एक-एक बूंद विलीन हो  जाए, तो भी मृत व्‍यक्‍ति को प्‍यास का अनुभव नहीं हो सकता। शरीर को प्‍यास अनुभव करने के लिए शरीर के साथ तादात्‍म्‍य चाहिए।

      अपने अभ्यास को इस प्रयोग को करके जाने। जब कभी आपको भूख लगे तो अपनी आंखे बंद कर लेना, और अपने कंठ तक गहरे उतर जाना। फिर ध्‍यान से देखना। आप देखेंगे कि कंठ आप से अलग है। और जैसे ही आप देखोगे, कि कंठ आप से अलग है। तो शरीर यह कहना बंद कर देगा कि शरीर भूखा है। शरीर भूखा हो ही नहीं सकता है, शरीर के साथ तादात्‍म्‍य ही भूख को निर्मित करती है।उपवास का रहस्य,Secret of fasting

उपवास से स्वास्थ्य लाभ

        उपवास, जब सही तरीके से किया जाता है, वास्तव में उपवास दोनों,मन और शरीर के स्वास्थ्य के लिए महान उपाय हो सकता है

बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली -

          न केवल उपवास से अतिरिक्त वसा (मोटापा) समाप्त होता है,अपितु शरीर में वसा (मोटापा) में जमा हुए विषाक्त पदार्थों को भी समाप्त किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप आपके शरीर को शुद्व करने के लिए सबसे अधिक प्राकृतिक तरीके होते हैं। उपवास ने शरीर को जो भी संभव तरीके से ऊर्जा संरक्षण करना था वह शुरू किया है। 

          हमारे शरीर की ऊर्जा को बचाने के लिए जो चीजें हैं, उनमें से एक, अनावश्यक प्रतिरक्षा कोशिकाओं से छुटकारा पाता है, जिसमें सभी क्षतिग्रस्त हैं यह प्रतिरक्षा तंत्र को गैर-कार्यशील कोशिकाओं से छुटकारा पाने और उन्हें स्वस्थ लोगों के साथ बदलने से बेहतर कार्य करने के लिए मजबूर करता है। इस प्रक्रिया को भी दिखाया गया है यह भी जाना गया है , कि कीमोथेरेपी प्राप्त करने वाले रोगियों को लाभान्वित करने के लिए: जब  कीमोथेरेपी उपचार केंद्र पर उपचार के तीन दिन पहले उपवास करते थे, तो वे प्रतिरक्षा तंत्र उत्थान की वजह से कीमोथेरेपी के कारण बहुत अधिक प्रतिरक्षा क्षति से परहेज करते थे।

वजन पर पूर्ण नियंत्रण -

       आंतरायिक उपवास अपने शरीर को ईंधन के रूप में वसा जलाने के लिए मजबूर करता है, जिससे बेहतर वजन नियंत्रण होता है। वहाँ भी अफवाहें हैं कि उपवास का दावा है कि आपके चयापचय को धीमा कर दिया जाता है, लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता है। भूख की लंबी अवधि धीमी चयापचय में आ जाएगी, लेकिन आंतरायिक उपवास वास्तव में पाचन तंत्र को एक ब्रेक देकर और इसे ठीक करने का मौका देकर गति बढ़ाता है। 

        उपवास भी आपके इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है, जो आपको भोजन को अधिक कुशलतापूर्वक पचाने में मदद करता है, ऊर्जा में स्पाइक्स से बचने में मदद करता है, और टाइप II मधुमेह के जोखिम को कम करता है।

सुधारित संज्ञानात्मक कार्य -  

       उपवास शरीर को शर्करा के बजाय केटोन्स जलाने के लिए मजबूर करता है। केनोन ईंधन का मस्तिष्क का पसंदीदा स्रोत है क्योंकि वे मस्तिष्क व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर नामक एक प्रोटीन को बढ़ावा देते हैं (बीडीएनएफ) जो स्मृति और उत्थान को बढ़ावा देता है। आपका मस्तिष्क सिर्फ बीडीएनएफ की उच्च मात्रा के साथ बेहतर कार्य करता है ।

सुख पूर्वक दीर्धायु - 

       उपवास से वास्तव में आपको लंबे समय सुख पूर्वक दीर्धायु रहने में मदद कर सकता है वहीं रॉटरडैम में इरमास यूनिवर्सिटी ने शोध किया कि हम कितना खाना खाने की ज़रूरत है और उन्होंने पाया कि हमें हर दिन खाने की ज़रूरत से थोड़ा कम खाने से हमारे जीवन काल में विस्तार हो सकता है मानव शरीर या तो बढ़ रहे हैं या मरम्मत कर रहे हैं, और जब हम बहुत ज्यादा खाते हैं तो वे केवल और अधिक बढ़ सकते हैं। कम बलों को शरीर में reparative मोड में भोजन करना, जो अधिक लंबी उम्र में हो सकता है।

इसमें कई अन्य भी लाभ शामिल - 

       कम सूजन, जो सामान्य दर्द और असुविधाओं का मूल कारण है जो लोग अनुभव करते हैं। उपवास मुक्त कणों को दबाने से होता है जो डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसे आमतौर पर ऑक्सीडेटिव तनाव कहा जाता है। उपवास भी हृदय रोग के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं, और अल्जाइमर रोग, साथ ही साथ कैंसर को रोका जा सकता है। आंतरायिक उपवास भी जठरांत्र संबंधी बीमारियों जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन रोग और विशेषकर गर्ड को समाप्त कर देता है।

        यह ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आंतरायिक उपवास के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन स्वस्थ उपवास और अस्वास्थ्यकर आदतों के बीच का अंतर जानना महत्वपूर्ण है। लंबे समय तक अपने शरीर को भूख से पीना कुपोषण का कारण बन सकता है, और कुपोषण के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मसूड़े की बीमारी जैसे मस्तिष्क की सूजन की संभावना श्वसन या दिल की विफलता । उपवास का रहस्य,Secret of fasting

          हमेशा यह सुनिश्चित कर लें कि आप अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रह रहे हैं, और ध्यान रखें कि जब आपका शरीर जीवित रहने के लिए जरूरी पोषक तत्वों के साथ खुद को प्रदान कर सकता है, तो ऐसा हमेशा के लिए नहीं कर सकता है।

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जीवन मे उपवास अत्यंत ही उपयोगी है ।

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उपवास का रहस्य,Secret of fasting Madhuri

श्रीमति माधूरी बाजपेयी

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