मेरा देश,स्वतन्त्रता दिवस |independence day quotes

 

मत रोको मुझे, बोलने दो, "मां"

बहुत की हुकूमत तुझ पर ,उन सब ने,
बहुत चलाए तीर अपनी कायरता उन्होंने,
बहुत सताया मेरे देश के वीर सपूतों को उन्होंने,
बहुत रुलाया मेरी देश की मां बहनों को उन्होंने,

अब, मत रोको मुझे,बोलने दो, मां.....



अब न कर पाऊंगी सहन किसी कायर के  जुर्मों को,
न आंच आने देंगे अपने देश पर किसी आतंकी कहर को,
न छोडूंगी मैं अपने देश के उन नाकाम गद्दारों को,
न कभी झुकने दूगी अपने देश की शान तिरंगे को,
अब, मत रोको मुझे, बोलने दो, मां......





अंधेरे में घिर चुके हैं जो, उन्हें रोशनी दिखा देंगे,
बस बेगानी सभ्यता से, थोड़ा सा बचा देंगे,
हमारी आन हैं तिरंगा,हर जान को सीखा देंगे,
वतन से प्यार का जज़्बा,हर दिल में जगा देंगे,

अब, मत रोको मुझे, बोलने दो, मां..

सुरभि जैन
कंचन नगर कटंगी जबलपुर मध्यप्रदेश

कविता क्रमांक 2

सोन चिरइय्या 

सोन चिरइय्या देश था मेरा
सोने सी फसल लहराती थी।
एकता की अखंड शक्ति संग
सभी वर्गों में समरसता थी।

बाँट गये अंग्रेज देश को
खण्डो में विभक्त किया।
खून चूस कर हर व्यक्ति का
देश को कमजोर किया।

वे क्या समझे भारत भूमि को
अखण्डता है अनमोल खजाना।
एक जुट होकर रहते सभी यहाँ
आपस में सब है भाई-भाई।

देश की हर बालक बालिका शिक्षित 
स्वाभिमान से जीवन जीते।
हर मुश्किल घड़ी से लड़कर आगे बढ़ते
वतन होगा समृद्ध,सोन चिरइय्या कहलायेगा

जहाँ सोने सी फसल लहराती है
शक्तिशाली देश है मेरा।
जहाँ माँ सीमाओ की रक्षा को
भेजे पुत्र और पुत्री।

जहाँ इरादे लोहा मनवाते
ऐसा देश है मेरा।
जहाँ रविकिरण पहुँचती पहले
हिन्दुस्तान हमारा है।

जहाँ हिमालय सरताज बना हो
गंगा यमुना सरस्वती नर्मदा पूज्य।
हरियाली मनमोह रही हो 
ऐसा लुभावन देश है मेरा।

यहाँ हर बालिका सोने की चिड़िया
हर बालक नेताजी सुभाष चन्द्रबोस।
जहाँ प्यार स्नेह आपस की शक्ति
है सोने सम देश मेरा।

"जय भारत की आन बान शान"

-अनिता शर्मा झाँसी

कविता क्रमांक 3

"मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं"

किसी ने मुझसे इंडिया कहा
और किसी ने मुझसे हिंद कहा
मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं

मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं
आजादी का लिए तिरंगा 
 घर घर डोल रहा हूं
मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं

मस्तक मेरे हिमालय सोहे
चरण कमल रत्नाकर धोए
नदियों की जपमाला लिए
मैं ध्यान मग्न गंभीर खड़ा हूं
मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं

महामानवों की रक्त शिखा ने
लिखी मेरी कहानी है
एक नहीं कई वर्षों में
मुझको मिली जवानी है
वीरों की गौरव गाथा का
गौरव बोल रहा हूं

मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं

आर्य आए अनार्य आए
द्रविड़ चीनी, शक, हूण
पठान ,मुगल सब 
मुझमें समाए

पश्चिम के व्यापारी आए
कितने तोहफे संग लाए
मरुभूमि और गिरिशिखरो को
लांघ लांघ सब मुझमें समाए

अनेकता में लिए एकता
सरपट दौड़ रहा हूं
मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं

वेद ,पुराण , उपनिषद
और ओंकार की ध्वनि मुझमें 
साधना और आराधना मुझमें 
नर नारायण की शक्ति का
चिंतन बोल रहा हूं
मैं भारतवर्ष बोल रहा हूं।

लेखिका :- अनीता चेची,राजनीता

कविता क्रमांक 4

आज़ादी 🇮🇳

झण्डा तिरंगा ऊँचा रहे हमारा 
बुरी बला से सदा बचे देश हमारा 
स्वतन्त्रता दिवस का आया है प्यारा त्योहार।

सबको देते हैं मुबारकबाद 
बलिदानों क़ुर्बानियों के बल पर मिली 
इस स्वतंत्रता का करते हैं सदा दिल से सम्मान ।

परतंत्र रहने और रखने की भावना से हर कोई हो आज़ाद,
वर्ष में एक दिन नहीं वर्ष का हर दिन मनायें आज़ादी।
प्यार सम्मान तरक़्क़ी विकास उन्नति की हो समृद्धि।
जब रिश्वतख़ोरी कालाबाज़ारी की कमाई से घर में पकती रोटी 
तो अन्न की क़ीमत से आत्मा की जागरूकता भी जैसे सोतीं ।

गुलाम सोच में ज्ञान का जैसे खो गया उजियारा 
आज़ादी का सपना देखता है हर कोई मन प्यारा 
कुर्सी को देते हैं सलामी घर तक आती है ये ग़ुलामी 
कोई खाता छप्पन भोज खीर 
किसी को सताता दो वक़्त की 
रोटी के लिए उसका ज़मीर।

जिसकी जेब में भरा रूपया वहीं सबसे बड़ा भैया 
व्यक्ति के व्यक्तित्व की गरिमा का मान हो
प्रज्ञा से  हर कोई सरोकार हो 
उच्च कोटि के विचारों से आयेगी क्रान्ति 
देश में आयेगी भाईचारा अमन और शांति 
संकल्प से बनती हैं सृष्टि दिलों में होगी स्वच्छता 
कचरे का होगा कूड़ेदान से वास्ता 
दिलो में बहेगा प्रेम का प्रवाह 
निर्मल बहेगी गंगा की धारा बड़ा लाभकारी होगा ये बदलाव ।
बच्चे को भी मिलेगा आदरभाव
देश का होगा विकास बनेगा भारत महान।

लेखिका :- 
अभिलाषा कक्कड़

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