धैर्य की कहानी | motivational story

दो पँक्ति ने बदला जीवन जाने कैसे???

   एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था । बाल भी सफ़ेद होने लगे थे,लेकिन राजा से राज्य का अधिकार छोड़ा न जा रहा था।

धैर्य की कहानी | motivational story

     इसी बीच एक दिन उसने अपने दरबार में एक उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया। उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया ।


Click here :- जरूर देखिए, जीवन बदलिए,
पल-पल को श्रेष्ठचिन्तन से सजाइये।
कितना अनमोल है यह जीवन बस एक बार वीडियो को सुनकर तो देखिए
आइये,लिंक को क्लिक कीजिए।


      राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं। ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आई। 

धैर्य की कहानी | motivational story

     नर्तकी ने देखा कि उसका तबले वाला ऊँघ रहा है। उसे जगाने के लिए नर्तकी ने एक

 दोहा पढ़ा-

अरे वादक सम्हल जाओ जरा उठ सुन

बहु बीती,थोड़ी रही,पल पल गयी बिताई।
एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए।

       नर्तकी ने तबले वाले के लिए कहा लेकिन परिणाम में इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला। 

1) जब ये बात दोहे के रूप में गुरु जी ने सुनी तो उन्होंने सारी मोहरें उस नर्तकी के सामने फैंक दीं।

2)वही दोहा नर्तकी ने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया।

        नर्तकी ने सोचा वाह में किसी और के लिए यह दोहा पढ़ रही हूं और कोई ओर मुझे उपहार दे रहा है,हे ईश्वर यह क्या हो रहा है?

3)अब तो अति हो गई, उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के पुत्र युवराज ने अपना मुकट उतारकर नर्तकी को सादर समर्पित कर दिया।

       अब तो नर्तकी फूले नहीं समा रही थी,क्योंकि अनजाने उसकी कमाई जो हो रही थी। नर्तकी ने फिर तबला वादक को उठाने के लिए वही दोहा दोहराने लगी।

       अब राजा तो घबरा कर कहा – “बस कर, एक दोहे से तुमने वेश्या होकर सबको लूट लिया है।”

Click here :- आइये जर्रे जर्रे के प्रेम में दीवाने हो जाएं,  

           मनुष्य ही क्या पशुओं के प्रेम में एक हो जाएं, 

न चुकें किसी के प्रेम में दीवाने होने को,

बस एक बार क्लिक कर वीडियो को देखें,बार-बार देखने का मन होने लगेगा।

       जब ये बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू की धारा बह गई और वो कहने लगे – “राजा ! इसको तू वेश्या मत कह। ये अब मेरी गुरु बन गई है। इसने मेरी आँखें खोल दी हैं। ये कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ। भाई ! मैं तो चला।” ये कहकर गुरु जी अपना कमंडल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े।

Click here :- आइये जाने बदलाव तब दिलचस्प हो जाता है,जब बदलाब की दिशा सकारत्मक हो बनाइये स्वयं के जीवन को आकर्षक बनाइये पोस्ट पढिये और अपनों का साथ पाइए।

       राजा की लड़की ने कहा – “पिता जी, मैं जवान हो गई हूँ। आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे। आज रात मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था। लेकिन इस नर्तकी ने मुझे सुमति दी है कि जल्दबाजी मत कर, कभी तो तेरी शादी होगी ही। क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है?” 

      युवराज ने कहा – “पिता जी, आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज नहीं दे रहे। मैंने आज रात आपके सिपाहियों से मिलकर आपका कत्ल करवा देना था, लेकिन इस नर्तकी ने समझाया कि पगले, आज नहीं तो कल,अन्तोगत्वा राज्य तो तुम्हें ही मिलना है। क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है। धैर्य रख।”

      जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा अंदर तक हिल उठा,और उसे उसी क्षण आत्मज्ञान उपलब्ध हो गया। राजा के मन में वैराग्य आ गया। राजा ने तुरन्त फैंसला लिया :-“क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ ।” फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया।

       राजा ने अपनी पुत्री को कहा – “पुत्री ! दरबार में एक से एक राजकुमार आए हुए हैं। तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो।” राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया ।

Click here :- अत्यंत ही उपयोगी विचार 
जाने कैसे संस्कार मानव जीवन को  बदलते हैं??? और सुन्दरतम बनाकर ,मानव को क्षण क्षण सजाते हैं।


        इतनी जल्दी ये सब देखकर नर्तकी ने आश्चर्य में पड़ गयी वाह कितना असर हुआ इन लोगों को और ईश्वर में क्यों रह गयी – “मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पाई?” उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया।

        तत्क्षण उसने निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा धंधा बंद करती हूँ और कहा कि “हे प्रभु ! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना। बस, आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुँगी।”बस गहनसमझ आने की बात है। हमेशा हम पर हमारी दुनिया आधारित है,बस दृष्टि बदली तो दुनिया बदलते देर नहीं लगती।

विचार करियेगा :- सिर्फ एक दोहे की दो पंक्तियों से भी हृदय परिवर्तन,दृष्टि परिवर्तन हो सकता है। केवल थोड़ा धैर्य रखकर चिंतन करने की आवश्यकता है।

नोट :- अगर आपको धैर्य की कहानी | motivational story यह लेख पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूलें और मुझसे जुड़ने के लिए आप मेरे Whatsup group में join हो और मेंरे Facebook page को like  जरूर करें।आप हमसे Free Email Subscribe के द्वारा भी जुड़ सकते हैं। अब आप  instagram में भी  follow कर सकते हैं ।

लेख पढ़ने के बाद अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करायें।नीचे कमेंट जरूर कीजिये, आपका विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. I like your story. Dhairya ki kahani. Entirely agree with you that good thoughts uplift the person's so we should read and seek good thoughts.

    जवाब देंहटाएं
  2. आपने इस पोस्ट को पढ़ने हेतु कीमती समय दिया में ह्रदय से आभारी हूँ।
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं