आज बताते हैं आपको एक मंदिर का राज,
जहां लाइलाज बीमारी का होता है इलाज।
इसलिए वह मंदिर है खास,
100 से अधिक साल से
यह मंदिर समेटे हुए है, बहुत सारे राज।
चाहे एक मुख की दत्तात्रेय जी की मूर्ति हो,
या कोई कहता दुख दूर हो गए हैं हमारे आज,
और कोई लगाता उसके रोग मुक्ति की आश ।
यदि नीचे का विषय पढ़ लिया तो,
रुक न पाएँगे पाँव वहां जाने से आज,
तो जरूर पढ़िए, यदि कोई अपना रोगी है।
तो उसके लिए हो सकता है यह मंदिर अवश्य ही खास।।
लाइलाज बीमारी का स्थायी इलाज का निश्चित स्थान है ब्रह्माघाट :-
शिव की नगरी काशी को हम सभी जानते हैं,लेकिन आज शिव के शिष्य श्री दत्तात्रेय जी के कारण भी यह नगरी गौरवान्वित और श्रद्धा का धाम बनी हुई है ।वैसे तो काशी अद्भुत रहस्यों से भरी पड़ी है। काशी के इन्हीं रहस्यों में से एक है रहस्य "ब्रह्माघाट" में स्थिर रूप से स्थित है,जहां भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर है |Lord Dattatreya's incurable disease destroyer temple। यहां भगवान के दर्शन से मिलता है ला इलाज बीमारी का स्थायी उपचार।
आइये थोड़ा ब्रह्माघाट के बारे में जानते हैं
काशी का प्राचीन मोहल्ला है "ब्रह्माघाट"। यहीं पर गुरू दत्तात्रेय भगवान का मंदिर (Lord Dattatreya's incurable disease destroyer temple) । मंदिर के बाहर लगा शिलापट्ट इमारत के तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना होने की गवाही देता है लेकिन बनारस के विद्वानों का कहना है कि श्री दत्तात्रेय के इस मंदिर का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। वेद, पुराण, उपनिषद और शास्त्र बताते हैं कि फकीरों के देवता श्री दत्तात्रेय का प्रादुर्भाव सतयुग में हुआ था।
अब हो जाइए तैयार कोई न होगा, कुरूप क्यों कि ब्रह्माघाट स्थित मंदिर पर सफेद दाग से मिलती है निजात।Lord Dattatreya's incurable disease destroyer temple
ब्रह्माघाट स्थित मंदिर की विशेषता
वैसे तो दक्षिण और पश्चिम भारत में दत्तात्रेय जी के बहुतेरे मंदिर हैं लेकिन इन मंदिरों में विग्रह कम उनकी पादुका ही ज्यादा हैं। काशी स्थित यह देवस्थान उत्तर भारत का अकेला है। जहां श्री दत्तात्रेय के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अब तक देह त्याग नहीं किया है। वो पूरे दिन भारत के अलग अलग क्षेत्रों में विचरते रहते हैं। इसी क्रम में वो हर रोज गंगा स्नान के लिए प्रात:काल काशी में मणिकर्णिका तट पर आते हैं। मणिकर्णिका घाट स्थित भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुका इस बात का साक्षात प्रमाण हैं।
कहते हैं कि ब्रह्माघाट स्थित मंदिर में भगवान दत्तात्रेय के दर्शन मात्र से मनुष्य को सफेद दाग जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
सम्पूर्ण भारत मे दत्तात्रेय जी यहां है , एकमुख स्वरूप की मूर्ति
हमेशा आप तीन मुख वाले दत्तात्रेय जी का दर्शन करते होंगे, लेकिन काशी का "ब्रह्माघाट"अकेला ऐसा स्थान है, जहां एक मुख वाला विग्रह श्री दत्तात्रेय जी का विराजमान है।
दत्तात्रेय जी ने दी अघोर मन्त्र की दीक्षा
दत्तात्रेय जी ने ही बाबा कीनाराम को अघोर मंत्र की दीक्षा दी थी।
कहते हैं कि सच्चे मन से स्मरण किया जाए तो दत्तात्रेय भगवान भक्त के सामने आज भी उपस्थित हो जाते हैं। अब तो दत्तात्रेय जी को याद कर लीजिए,उनकी उपस्थिति हम सभी को गद गद कर देगी,नित नवीनता,युवा जोश से भर देगी।
जरूर इससे पूर्व के लेख को पढ़ें जिसमे श्री दत्तात्रेय जी को याद करने का सूत्र छिपा है।
जय श्री दत्तात्रेय
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