क्यों व कैसे मनाई जाए मकर संक्राति How is Makar Sankranti celebrated

 मकर संक्रांति 

भारत देश  त्यौहारों और उत्सवों  का देश माना जाता है । यूं देखा जाए तो हमारा देश उत्सवों की अनोखी परम्पपराओं वाला देश है। हर महीने कोई ना कोई पर्व, व्रत और त्यौहार बड़े ही  श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाने की अद्भुत यहां परंपरा है।

   इसी कड़ी में वर्ष में कुछ ऐसे त्यौहार आते हैं जो धर्म, दान और लोक आस्था से जुड़े होते हैं, और सभी लोग बड़े ही उल्लास के साथ इन त्यौहारों को मानते हैं।

क्यों व कैसे मनाई जाए मकर संक्राति  How is Makar Sankranti celebrated

क्यों है खास मकर संक्रान्ति :-

   मकर संक्रान्ति हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्यौहार में से एक है ।जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रान्ति ( खिचड़ी) का त्यौहार  मनाया जाता है।

   भारतीय हिन्दू धर्म के अनुसार :-  मान्यता है कि  मकर संक्रांति से जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं तो देव लोक का सूर्योदय होता है, और दत्यों का सूर्यास्त होता है।

कब-कब मनाया जाता है मकर संक्रांति का उत्सव :- 

   यह हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता हैं,परन्तु कभी कभी ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह 15 तारीख़ को भी पड़ जाता है।

   सूर्य का मकर राशि में संक्रमण, जिसे हिन्दू धर्म के अनुसार अत्यंत शुभ अवसर माना जाता है।

आज के ही शुभ अवसर पर मूल्यवान घटना घटित होती है वह यह कि :- दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।जो कि आध्यात्मिक प्रकाश की वृद्धि और भौतिकवादी अंधेरों को कम करती है।

क्या है मकर संक्रांति और गॅंगा स्नान का महत्व :- 

   मकर संक्रान्ति से सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश करना यानी भास्कर देव का स्थान परिवर्तन और सूर्य देव का 6 महीने के लिए उत्तरायण हो जाना ,यह वह क्षण या क्षणों से मिलकर बना अवसर है,जिसमे अत्यंत ही श्रेष्ठ कार्य को करना शुभ और माॅंगलिक माना जाता है। अर्थात यदि आप सर्वोचित कार्य करना चाहते हैं तो यह अवसर शुभ माना जाता है,

अतः गॅंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान कर पापों से मुक्त होना और दान की परंपरा के लिए ये समय अत्यंत ही ख़ास होता है, इसलिए इस शुभ अवसर पर आस्था का सैलाब गंगा और पवित्र नदियों के तट पर खूब उमड़ता है।

     कहते है कि इस दौरान प्रयागराज में स्नान दान करने से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं, और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

किन वस्तुओं का करें, मकर संक्रान्ति पर दान का महत्व :- 

    उत्तर भारत में लोग इसे खिचड़ी के नाम से जानते हैं क्यूॅंकि इस दिन खिचड़ी का भोग , दाल चावल मिला कर खिचड़ी का दान, तिल गुड़ का सेवन व दान दिया जाता है, अतः इसे खिचड़ी नाम से लोग जानते है।

   वहीं मिथिला में तिल गुड़ का दान और तिल गुड़ का सेवन विशेष रूप से किया जाता है‌, अतः ये  तिला संक्रांत के नाम से चर्चित है।

कैसे होता है मकर संक्रान्ति का समारोह

   अत्यधिक जाड़े के बाद, सूर्य देव अपनी गर्मी से लोगो में जोश और उत्साह भर देते है, तब लोग प्रसन्न हो कर एकजुट होते है, तिल और गुड़ से बने। तरह तरह के मिष्ठान और व्यंजन बना कर एक दूसरे के साथ मिल बाॅंट कर खाते हैं,वहीं बच्चे और बड़े भी धूप का आनंद लेते हुए पतंग बाजी करते,और छतों पर खूब रंग बिरंगी पतंग उड़ाई जाती हैं। कहीं -कहि  तो रंग बिरॅंगी पतंग से आसमान भर जाता है।बड़ा ही हर्सोल्लास का माहौल होता है।

हर नर नारी बच्चे बूढ़ों के भीतर एक जोश एक उमंग दिखाई देती है,इस उत्सव को लेकर काफी उत्साहित होते हैं लोग।

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व

कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर स्वयं मिलने के लिए आते हैं, क्यूॅंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी है ।

    उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है
और दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं, 

अतः कहते हैं कि महाभारत काल में पितामह भीष्म को इक्ष मृत्यु का वरदान मिला था, वो 6 महीने तक बाणों की सैय्या पर सोए रहे उन्होंने प्रतीक्षा की कि जब सूर्य उत्तरायण हुए तो उन्होंने शुभ मुहूर्त में,अपने प्राण त्यागे।

    कहते हैं कि मकर संक्रान्ति के दिन ही भगीरथ के अथक तपस्या से प्रसन्न हो गॅंगा जी धरा पर आईं । जो कपिल मुनि जी के आश्रम से होते हुए सागर से जा मिले थी।

मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश

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