"अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस" के विशेष अवसर पर एक नए तरीके से आपके सामने बहुत ही गहरी बात लिख रही हूं जो,समस्त नारियों की दिशा को बदलने में कार्य करेगी।
भारतीय संस्कृति में नारीओं के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। भारत में नारी को देवी के जैसी शक्ति से परिपूर्ण , भाव की प्रतिष्ठा दी गई है।
संस्कृत में एक श्लोक है-
रमन्ते तत्र देवता। '
आज नारीयों के पक्ष में बहुत बदलाव आया है। बहुत हद तक नारीयां मानसिक गुलामी से,भौतिक व आर्थिक गुलामी से,उनके अस्तित्व को न समझने की गुलामी से ऊपर उठी हैं।
किंतु इतना ही नही नारीयो :- नारी को, केवल भोग्या कहलाने वाली परम्परा से भी ऊपर उठ रही हैं।
इस बदलाब से पूर्व नारियों में बहुत कुछ खोया भी है
यह बदलाब इतने आसानी से नहीं आया है,इसमें बहुत सी नारियाँ दबाई गई,उनके समय का दुरुपयोग व कुछ को प्रताड़ित भी किया गया। उनके रचनात्मक विकास की तरफ कम ध्यान दिया गया,बहुत सी महिलाओं के त्याग को अपमानित किया गया, उसके बाद भी उनकी रचनात्मकता हर स्तर में स्थिर रूप से बनी ही रही है।
आज हम सभी महिलाओं के इस सम्पूर्ण बदलाब के संकल्प के कारण ही नारियाँ स्वतन्त्र हो पाईं।
लेकिन हे महिलाओं! हमने इस स्वतंत्रता के मूल्य को समझा ही नही, और फिर दूसरी तरह की गुलामी में अच्छा अनुभव करने लगे। वह है पुरुष जैसे आचार,विचार,भेष-भूषा,भूमिका,रहन-सहन,चलन-ढलन इत्यादि में हम खुद को अग्रगणी ही करते जा रहे हैं।
बिना जाने की हम तो खुद ही शक्ति से परिपूर्ण हैं। किसी की क्या बराबरी करना??
आइये खुद के अस्तित्व को समझने के लिए इस कविता को पढ़ आनन्दित हों और हम नारियों में सम्पूर्ण साहस भर उठें। और पुरुष होने की दौड़ को लगाम लगाएं।
[ "मुझे पुरूष नही बनना है....
सृष्टि की सबसे सुंदर कृति सोने सी शुद्ध
क्यों बनूँ मैं राम - कृष्ण और बुद्ध ?
महान होकर भी खुद में संपूर्ण थे ?
अगर सीता न करती इतना त्याग महान
तो प्रभु, प्रभु न होकर कहलाते इंसान ।
होते ना, राधा के निश्छल प्रेम के नाते
कृष्ण हमेशा अकेले ही पूजे जाते ।
यदि यशोधरा सिर्फ सोचती अपना,
सिधार्थ से बुद्ध बनना होता बस सपना ।
हर महान पुरूष की महानता में
सदियों से स्त्रियाँ खड़ी रही समानता में ।
अगर हर स्त्री पुरूष ही बन जायेगी
तो इनको संकट से कौन बचायेगी ?
कैसे होगी उत्पत्ति कैसे होगा सृजन तब
सारी ही स्त्रियाँ बन जायेंगीं पुरूष जब ?
क्यों मैं सोचूँ की मैं पुरूष बनूँ
बिना सिर - पैर के सपने बूनूँ ।
मुझे कभी भी पुरूष नही बनना है
मैं खुद में समर्थ हूँ,मुझे स्त्री ही रहना है।
मैं तो हौसला हूँ संबल हूँ ताकत हूँ इनकी
माँ - बहन - पत्नी - बेटी हूँ जिनकी।
मैं स्त्री थी स्त्री हूँ और स्त्री ही रहूँगीं
सबमें प्रेम - प्यार - दुलार - ही भरूँगीं।
मेरे इसी रूप को स्वीकारना होगा
ये बात हर किसी को मानना होगा ।
फिर न कहना की स्त्री हो तुम रहने दो
अरे ! छोड़ो भी स्त्री है, इसको सहने दो ।
स्त्री होकर हद से ज्यादा सह सकती हूँ
चुप रहकर भी सब कुछ कह सकती हूँ ।
हर परिस्थितियों में डट कर अड़े रहना है,
कदम से कदम मिला, साथ खड़े रहना है । ]
मुझे पुरूष नही बनना है।.....
लेखिका :- श्रीमति सीमा पांडे
अहमदाबाद, गुजरात
आज नारियों के प्रति लोगों की सोच में थोड़ा सा बदलाव आया है। लोग अपने घर की बेटियों और बहुओं की शिक्षा के लिए आगे बढ़ा रहे हैं।
नारी केवल एक घर की नहीं बल्कि देश की शान होती है। पहले की तुलना में महिलाएं आज ज्यादा सक्षम है।
महिलाएं समाज को सभ्य बनाने से लेकर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकायें निभाती हैं। आज महिलाओं ने खुद को हर क्षेत्र में साबित किया है।
इसी उत्साह और जज़्बे को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Womens Day Quotes in Hindi) के रूप में हर साल मनाया जाता है।
इस दिन विश्व स्तर पर महिलाओं को उनके सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के बारे में बताया जाता है। इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने, उनका आत्मविश्वास जगाने एवं समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित कर उनका मनोबल बढ़ाया जाता है।
इस अवसर पर आप भी उपरोक्त कविता भेज अपनी स्नेही,मित्रवत,मातृवत,सभी महिलाओं को विशेष अनुभव करवाएं और उपरोक्त पँक्ति को मिलकर दोहरावें।
आप सभी को अंतर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस शुभकामनाएं
नोट :- अगर आपको यह काव्य विश्व महिला दिवस पर अनूठी कविता|मुझे पुरुष नहीं बनना है | women shayari|international womens day quotes in hindi पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूलें और मुझसे जुड़ने के लिए आप मेरे Whatsup group में join हो और मेंरे Facebook page को like जरूर करें।आप हमसे Free Email Subscribe के द्वारा भी जुड़ सकते हैं। अब आप instagram में भी follow कर सकते हैं ।
यह लेख पढ़ने के बाद अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करायें। नीचे कमेंट जरूर कीजिये, आपका विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
0 टिप्पणियाँ