तिलक लगाओ इस मिट्टी का
तिलक लगाओ इस मिट्टी का,
कण-कण मेरी शान है।
नमन करो तुम इस धरती को,
जिससे मेरी पहिचान है।
कण-कण मेरी शान है।
नमन करो तुम इस धरती को,
जिससे मेरी पहिचान है।
दुश्मन जब हुँकार भरे तब,
लहू की गर्मी खौल उठे।
स्वाभिमान पर उठे प्रश्न तब,
अंतर्मन भी बोल उठे।
लहू की गर्मी खौल उठे।
स्वाभिमान पर उठे प्रश्न तब,
अंतर्मन भी बोल उठे।
सिर का ताज हिमालय जिसका,
कदमों में नदियों की धार है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का.........
कदमों में नदियों की धार है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का.........
जिसने प्राणों की आहुति देकर,
खून से देश को सींचा है।
पदचिन्हों पर चलकर जिसने,
बलिदानों को सीखा है।
हम उस राष्ट्र के पहरेदार हैं,
दिल में जिनके हिन्दुस्तान है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का........
दिल में जिनके हिन्दुस्तान है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का........
हृदय में करूणा और श्रद्धा,
मन में जिसके सद्भाव है।
परम्परा है प्रेम धरोहर,
राष्ट्र प्रेम का भाव है।
ऋषियों मुनियों की है यह धरती,
रैदास, कबीर महान हैं।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का........
रैदास, कबीर महान हैं।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का........
नानक, मीरा, दादू जैसे को,
इस मिट्टी ने जन्म दिया।
बुद्ध, महावीर और कृष्ण ने,
आत्मज्ञान का मान दिया।
सरहद पर है खड़ा सिपाही,
खेतों में जहाँ किसान है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का.........
खेतों में जहाँ किसान है।
तिलक लगाओ इस मिट्टी का.........
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