क्यों न स्त्री मर्यादा लिखूं ..........
सीता की अग्नि परीक्षा लिखूं,
या मीरा का विष पान लिखूं।
सतयुग से लेकर कलयुग तक,
कितने तेरे बलिदान लिखूं।।
सावित्री की प्रतिज्ञा या फिर,
अहिल्या का अभिशाप लिखूं।
अपने सतीत्व की खातिर,
कितने कितने तेरे त्याग लिखूं।।
द्रौपदी का चीर हरण या,
जौहर पद्मिनी वाला लिखूं।
या देश धर्म की रक्षा करती,
झांसी वाली मर्दानी लिखूं।।
मैत्रीय,गार्गी,अपाला, घोषा, लोपा मुद्रा,
कितनी विदुषियों को लिखूं ।
या प्रेम भक्ति में डूबी हुई,
शबरी की अनुपम गाथा लिखूं।।
गौतम,काली,तुलसी,अर्जुन,
क्या यूं ही अमर कहाते हैं।
इन सबके होने के पीछे,
मैं क्यों न स्त्री मर्यादा लिखूं।।
क्यों न स्त्री मर्यादा लिखूं।
1 टिप्पणियाँ
भीमरूपी
जवाब देंहटाएंमहारुद्रा
वज्र हनुमान
मारुती , l
वनारी
अंजनीसूता
रामदूता
प्रभंजना ,ll
🙏🌺जय अंजनेया स्वामी 🌺🙏
शुभ संध्या आप सभी को 🙏