बच्चों की समझ को समझें /Increase children's talent

                  सृष्टि की संरचना में माता-पिता की अहम भूमिका रहती है । जब वे सन्तान के जन्म में पूर्ण उत्साह के साथ खुशी व्यक्त करते हैं,लेकिन कुछ पल के लिए अपनी संतान के निर्माण  में सकारात्मक सोच का पहलू भूल जाते हैं। परिवार में कुछ लोग बच्चों की बाल लीलाएं देखकर उसे अपने दैनिक मनोरंजन में शामिल करते हैं,उस समय वे सभी परिवार जन उसकी चेतना को सुसंस्कारित बनाने का प्रयास ही नहीं करते । न ही बच्चे के एहसास को पहचानने की कोशिश करते, अपने सपने साकार नहीं कर पाए पर उनको साकार करने का दायित्व अपनी संतान पर छोड़ देते हैं। बच्चों की समझ को समझें / Increase children's talent लेकिन वे दूर-दूर तक अपने पूर्ण मनोयोग से नहीं सोच पाते कि हमारी सन्तान का भी कुछ सपना होगा,जो कि वह संसार सागर में आकर पूर्ण करना चाहेगा। निश्चित ही बच्चों की समझ को समझें।

बच्चों की समझ को समझें /Increase children's talent

              अब एक बड़ी समस्या यह खड़ी होती है कि सन्तानें, सारा जीवन बस दूसरों के सपने साकार करने में ही लगा देती है,वह अपनी प्रतिभा और अस्तित्व को पहचान ही नही पाते या कहें जानते हुए उससे अनजान बनना पड़ता है। जिससे एक कुशल सामाज का निर्माण ही नहीं हो पाता आगे बढ़ने की अंधी दौड़ में वह भवँर के जैसे फस कर रह जाता है । 

              जहां तक मेरे विचार से विवाह के बाद माता-पिता को बच्चे को जन्म देने से पूर्व उसके विकास में अपने कर्तव्यों का चिन्तन कर लेना उचित रहेगा। और माता पिता को स्वयं के सपने स्वयं साकार करने की क्षमता रखना उचित होगा। बच्चों की सफलता,असफलता में नजर अंदाज कर, उनका धैर्य के साथ आत्मीय सहयोग को फलीभूत करना चाहिए। जिससे उसकी प्रतिभा निखर के उसके सामने आ जायेगी।बच्चों की समझ को समझें।

अब बच्चों को प्रकृति के साथ नए रस ले लेने दें।उसी रस में में रहकर शिक्षा का अनूठा प्रबन्ध कीजिये।प्रकृती सबसे अच्छी शिक्षक है ।

आइए इस विषय को थोड़ा गहराई से जाने

               माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर आशान्वित होते हैं और उसके लिए बहुत प्रयास भी करते हैं, लेकिन कभी कभी भी इस दौरान यह भूल जाते हैं कि वाकई में उनका बच्चा चाहता क्या है???

               माँ-पिता या परिवार के अन्य व्रद्ध जन इस विचार धारा में होते हैं कि जो कार्य वे अतीत के जीवन मे नहीं कर पाए अब वे कार्य उनकी इच्छा के अनुरूप सन्तान करे??शायद आपको यह पता हो कि उस सन्तान के लिए यह बहुत बड़ा भार और चिंता हम डाल रहें हैं जोकि सदा के लिए अनुचित ही होता है।

धीरे - धीरे परिवार का दबाब सन्तान पर बढने लगता है, और वे अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपने लगते हैं।

बच्चों की समझ को समझें / Increase children's talent

वे भूल ही जाते हैं कि सदैव उनका बच्चा केवल पढ़ने लिखने में ही नहीं वरन खेल के साथ-साथ अन्य गतिविधियां भी करेगा। इसकी वे परवाह ही नहीं करते हैं। 

बच्चों की गहरी शिक्षा यह हो 

              कभी भी आपने बच्चे को इतना मजबूर न करें कि वह जब किसी कला का प्रदर्शन करे,तब वह प्रथम ही आये,आप तो केवल उसके हिस्से की कला को विकसित करने का प्रयास कीजिये,आगे तो यदि पूर्ण मनोयोग से वह कला का अभ्यास किया होगा तो वह प्रथम आएगा या न आये उसके ऊपर छोड़ दें। Do not teach children arrogance यदि आपने समझाना चालू किया कि हमेशा तुम्हें प्रथम ही रहना है,हमेशा ट्रॉफी मिले तुम्हें , यह बात जरा भी बच्चे के मन मे बैठ गयी तो, आगे उसका भविष्य अहंकार से भरा होगा ।

अति आवश्यक प्रश्न खुद से जाने आपके बच्चे की रूचि किसमें है -

                हमेशा ध्यान रखें कि ऐंसी विचारधारा हो आपकी कि,बच्चों को उनकी रूचि और रुझान के अनुसार शिक्षित करें तो ज्यादा अच्छा है। बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें विषय का चयन करने में मदद करें ना कि उन्हें डर पैदा करें । घर का वातावरण उनके अनुरूप ऐंसा बनाये कि अध्ययन के साथ साथ खेलकूद जैसी भी गतिविधि वे कर सकें ।

एक जबरदस्त विषय जरूर पढ़िये जो आपको  स्वयं के साथ चलने की अद्भुत शक्ति प्रदान करता है ।

किसी से किसी की तुलना बेकार

              यह सत्य हमेशा जान लें कि सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में अद्वितीयता की विशेष महिमा है,अर्थात कोई यदि पढ़ाई में कुशल है,तो कोई निश्चित ही खेल में होगा,अब यदि खेल वाले को जबरन पढ़ाई वाले से तुलना करें तो यहां परेशानी खड़ी होगी । ऐंसा न कर दोनों के लिए उनकी विशेषताओं को ध्यान में रखकर उनके लिए अवसर पैदा करें।Create opportunities for children

एक रहस्य खुलने वाला है जरूर पढ़िये - हो जाइए तैयार अब संकल्प कभी भी विकल्प न हो सकेगा,अब आपका संकल्प हमेशा आपके साथ होगा,कैसे??

अत्यंत आवश्यक कर्तव्य 

                परिवार में माता-पिता और सभी अन्य सदस्योँ को इस महत्वपूर्ण कर्तव्य को ध्यान में रखना होता है कि वे अपनी संतानों की क्षमता को पहचाने उनका उचित मार्गदर्शन करें । और यदि उनकी सन्तान कभी असफल हो भी जाये तो वे इतने निश्चिन्त भाव से रहें कि असफल हो चुके बच्चे पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़े और वह तत्क्षण असफल होने के कारणों पर विचार कर पाए,और उन कारणों  को कभी भी न दोहरायें।

आइए जानें बदलाब तब दिलचस्प हो जाता है-जब बदलाब की दिशा सकारात्मक दिशा हो, अपने बच्चों की दिशा को सकात्मक करें।

               बच्चों को असफलता के समय शांत रहने के प्रयोग करवाएं,कोशिश करें कि वे हर दिन कुछ नया करें जो उनके साथ-साथ संपूर्ण पर्यावरण को  नया कर दे।

                ज्यादा से ज्यादा प्रयोगिक वातावरण उन्हें दें, Get children practical knowledge। कभी व्यवसाय समझाएं,तो कभी अस्पताल लेजाएँ,तो कभी गोशाला,तो कभी उसे बगीचे में माली के कार्य से परिचित करवाएं।

              उसे बताएं कि वर्तमान में बहुत संभावनाएं हैं,शिक्षा हो या व्यवसाय हो तुम चिंता किस बात की करते हो, यदि एक क्षेत्र में असफल भी हो गए तो निश्चित दूसरा क्षेत्र तुम्हारा इंतजार कर रहा है क्यों न आजमा लिया जाए ऐंसी सलाह जरूर दीजिये,निश्चित ही उसे भविष्य के प्रति आश्वस्त कीजिए । बच्चे को उसकी कमजोरियों का अहसास न कराते हुए वरन उसको उन्ही कमजोरीयों को शक्ति सम्पन्न कर सम्पूर्ण मनोयोग से कामयाबी प्राप्त करने की प्रेरणा देकर कमजोरियों को ताकत बनाने का प्रयास करना चाहिए । नहीं तो बच्चे कुंठित हो सकते हैं,Protect children from frustrations ।  जब बच्चे समझदार होने लगे तो थोड़ी बहुत जिम्मेदारी का अहसास भी कराएं व समझाएं बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अच्छा यही है कि उन्हें उनकी रुचि के अनुकूल उन्हें वातावरण दें ।

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