अवसर,opportunity
हमेशा ध्यान रखें अवसर सदैव नहीं आते चुनोतियों को पार कर जीवन को उचित समय की प्रतीक्षा में संलग्न समर्पित करना होता है।
क्या आप जानते हैं आप स्वतंत्र हैं?? (Do you know you are Independent??
आप स्वतंत्र हैं और स्वतन्त्रता से तात्पर्य यह है कि आप चाहें तो अपनी भूमिका विकास के अवसर खोजने में लगा सकते हैं,या विनाश के बम बनाने में। यही स्वतन्त्रता मनुष्य को सभी भिन्न-भिन्न जीवों से अलग करती है। जब इतनी स्वतन्त्रता मनुष्य को मिली है तो क्यों न इस स्वतन्त्रता को गहनतम आत्मसाद कर लिया जाए।
कितना मूल्य है स्वतन्त्रता का की व्यक्ति बूरा से बुरा कर सकता है,और अच्छे से अच्छा लेकिन यदि अच्छे से अच्छा ही करना स्वतन्त्रता का हिस्सा होता,तो वह कोई स्वतन्त्रता होती ही नही,इसी कारण मनुष्य बहुत कीमती है।
एक उदाहरण से समझते हैं
एक बीज है,और उसकी वृक्ष बनने की तैयारी होने वाली है । अर्थात बीज के पास एक अवसर है कि वह वृक्ष बन जाये लेकिन कैसे???
अब बीज के लिए भूमि की आवश्यकता होगी, भूमि से पुराना कचरा समाप्त कर मिट्टी में फेरबदल कर बीज डालने योग्य बनाना होगा,अब जैसे ही उचित ऋतु आएगी वैसे ही बीज डालना प्रारम्भ कर दिया जाएगा। जैसे-जैसे बीज जमीन पर जाएगा,वैसे ही धीरे-धीरे बीज का बाहरी हिस्सा मिट्टी में मिलने लगेगा,अब बीज की वृक्ष होने की संभावना बनने लगी,नियमित जल और सूर्य का प्रकाश उस बीज को उठाने का अवसर देता रहेगा।
बीज उन छोटे-छोटे अवसरों का श्रेष्ठतम उपयोग करता रहता है,और उस बीज को वृक्ष तक बनाने के लिए प्रकृति अपने वातावरण में अलग-अलग बदलाव लाती है,कभी बिजली कोंधाती है, कभी तेज बारिश,तो कभी तेज धूप,और भी भिन्न-भिन्न चुनोतियों challenges उस बीज को पार करनी होता है,अब बीज अंकुरित हो गया। बीज जैसे ही अंकुरण तक पहुंचा फिर सूर्य का प्रकाश ओर अवसर देता है कि बढ़ो,क्योंकी मै तुम्हारे साथ हूँ । यही बीज सम्पूर्ण चुनोतियों challenges को पार करते-करते अहंकार को मिट्टी में मिलाकर के हर क्षण इन छोटे-छोटे अवसरों को उपयोग में लेता रहता है। निश्चित ही एक दिन ऐंसा आ ही जाता है कि छोटे-छोटे अवसर opportunity एक बड़े अवसर में बदल जाते हैं,शुभ घड़ी आ ही जाती है,जब बीज में छुपी सम्भावना सम्पूर्ण रूप से प्रस्तूत हो वृक्ष के रूप में फलती,फूलती, छायादार दिखाई देती है ।
यही सम्भावना भी मनुष्य के साथ चुनोतियों के रूप में निरन्तर आती रहती है,ऐंसी ही चुनोतियों से पूर्ण सम्भावना को ध्यान में रखकर हर छोटे-छोटे अवसर का उपयोग करता-करता मनुष्य, चुनोतियों challenges को पार कर बड़े अवसर तक पहुंच सर्वांगीण विकास में अग्रसर होता है,और उसकी यह प्रस्तूति से सम्पूर्ण प्रकृति आनन्दित होती है।
निष्कर्ष
इन चुनोतियोँ को पार करके ही सम्भव है यहां तक पहुंच पाना,जो बीज इन चुनोतियों challenges को पार न कर पाया तो वह क्या वृक्ष बन पाएगा,कोई भी सम्भावना नहीं है । इसलिए में लिखती हूँ ,कि ये छोटे-छोटे अवसर opportunity है,बड़े अवसर opportunity के द्वार हैं। बड़े अवसर आयें उससे पहले छोटी-छोटी चुनोतियों challenges से भरे अवसरों को विवेकपूर्ण होकर पार करके ही सर्वांगीण विकास तक पहुंचे। नहीं तो बीज,वृक्ष न बन पाएगा,और मनुष्य,सफल न हो पायेगा।
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