सफल समाजिक जीवन मे ध्यान और मान का संतुलन (Balance of attention and respect in successful social life)

ध्यान और मान में विशेष सावधानी(Special care in attention and respect)

सफल समाजिक जीवन मे ध्यान और मान का संतुलन (Balance of attention and respect in successful social life)Madhuri Bajpeyee
सफल समाजिक जीवन मे ध्यान और मान का संतुलन,ध्यान और मान में विशेष सावधानी(Special care in attention and respect)

      अब समझ जाएं खुद की गलत आदतें जो लोगों से दूरियां बना देती हैं,और इसके विपरीत लोगों में प्रशंसा का हेतु भी बना सकती हैं । कई बार ऐंसा होता है कि-हम किसी को कुछ गलत नहीं कहते फिर भी सामने वाला व्यक्ति हमसे नाराज हो जाता है। ध्यान और मान में विशेष सावधानी(Special care in attention and respect) और हमारी बातों को गलत तरीके से ले लेता है।कई बार आप कोई बात बोलते तो सही उद्देश्य से हैं, लेकिन सुनने वाला उसे व्यंग के रूप में ले लेता है, इसी प्रकार बहुत सी बार हम सामने वाले को पूरा महत्व दे देते हैं, फिर भी वह खुद को उपेक्षित महसूस कर लेता है।सफल समाजिक जीवन मे ध्यान और मान का संतुलन (Balance of attention and respect in successful social life)

जानते हैं ऐसा क्यों होता है??? 

            ध्यान दो तरफा होने से  - तात्पर्य यह है कि आप किसी से बात तो कर रहे हैं, लेकिन देख किसी दूसरी तरफ रहे हैं ।

            एक समय की बात है, दो स्त्री ननद-भाभी के रिश्ते में थीं,ननद निशा के साथ जब भाभी दिशा ने,कुछ ऐसा ही किया - शनिवार के दिन जब ननद निशा,भाभी दिशा के घर आई,भाभी दिशा ने प्यारी ननद का  सम्पूर्ण मनोयोग से सत्कार किया, और फिर कुछ देर बातचीत करने के लिए,वे दोनों ननद-भाभी , भाभी दिशा के कक्ष पर जाकर बैठ गईं।

                अब भाभी दिशा को मन में लगा अरे ! ननद तो अपने ही घर आई है,चलो इससे बात करते जाऊंगी और अपना भी कर लूंगी,ऐंसा मन मे सोंच कर वह अपने विशेष कार्य को पूर्ण करने के उद्देश्य से कंप्यूटर के पास जाकर बैठी,भाभी दिशा के कंप्यूटर में पहले से ही विशेष कार्य चलने के कारण,कंप्यूटर पर पहले से ही वह कार्य खुला था,अब भाभी दिशा, ननद के वार्ता के दौरान कंप्यूटर पर टकटकी लगाकर विशेष कार्य करने बैठ गई । 

            भले ही भाभी दिशा,अपनी नंदन निशा की बातें सुन रही थी, लेकिन निशा की ओर ना देखने से नंदन निशा को ऐसा लग रहा था-जैसे भाभी दिशा की तरफ से उपेक्षा हो रही हो । तभी नंदन निशा ने क्रोधित होकर कहा :- "भाभी तुम तो मेरी बातों को कोई महत्व नहीं दे रही हो"। और बैग उठाकर चल दी। परन्तु भाभी दिशा यह समझ ही नही पाई की ननद के साथ ऐंसा क्या हो गया ।

           इसी प्रकार कई लोगों की ऐसी ही आदत होती हैं, जब कोई उनसे बातचीत कर रहा होता है, तो वे समाचार पत्र या पत्रिका के पन्ने पलटते रहते हैं । अपने स्मार्टफोन पर गेम, व्हाट्सएप चैट या फेसबुक या कॉल्स कुछ ना कुछ कर रहे होते हैं । इस प्रकार की चेष्टा सामने वाले को बहुत परेशानी में डालती है, कोई भी व्यक्ति आपसे कुछ कहता है तो वह आपका ध्यान अपनी ओर चाहता है । जब आप उस पर ध्यान नहीं देते , तो उसे ऐंसा लगता है कि आप उसकी बात सुन ही नहीं रहे हैं या जानबूझकर उसे नीचा दिखाने के लिए व्यस्तता का नाटक कर रहे हैं । 

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अब क्या करियेगा

तो उपाय यह होगा अब :- 

                ऐसा करें जब कोई आप से बात करें तो उसकी ओर देखकर ही बात करें और समुचित जवाब दें। आपको कोई जरूरी काम हो तो, उनसे कहें - मैं आपकी बात सुन रही हूं या रहा हूँ , एक जरूरी काम पूर्ण करना है । आप आज्ञा दें, तो यह भी करती रहूं या करता रहूं । इससे उन्हें बुरा नहीं लगेगा।

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क्या आपकी भाव भंगिमा और विचार किसी को चूभने वाले हैं ????

            किसी से  वार्ता के दौरान खास बात ध्यान में रखें- किसी भी व्यक्ति पर व्यक्तिगत आरोप या अपेक्षा न करें। यह आदत सब को चुभती है। बहुत से लोग वार्ता के दौरान अचानक व्यक्तिगत हो जाते हैं,वे वहां बैठे लोंगो को एक-एक कर लपेटते चले जाते हैं,और इस प्रकार अनजाने शत्रूओं का निर्माण कर बैठते हैं।

व्यंग बाण तोड़ते दिल

            कुछ लोग सीधी मुद्दे की बात न कर व्यंग बाण चलाते हैं,अलंकारों का या प्रतीकों का सहारा लेते हैं। ऐंसे बात करने का यह भाव और विचार किसी को नही सुहाता।इससे सम्बन्ध जल्दी टूटते हैं।

अब क्या करें ????

            उपाय यह है -  कि वार्ता सरल भाषा मे करें।किसी पर कटाक्ष या व्यक्तिगत आक्षेप न करें। 'में' और 'तुम' की जगह यथा सम्भव  'हम' का प्रयोग करें। सबको अच्छा लगेगा।

मिसेस कैंची-आधी बातों में ही तर्क की कैंची चलाती है -

              कुछ समय पूर्व  मण्डला में निकिता नाम की एक ऑफिस वर्कर रहती थी,उसके ऑफिस के सहकर्मी उससे खुश नहीं रहते थे- उसकी आदत तो देखिए - वह इतना बोलती है और सुनती किसी की नहीं , कोई सहकर्मी उससे किसी गम्भीर बात में चर्चा कर रहा हो,या उसे समझाने की कोशिश कर रहा हो,और इसी बीच उसे कोई बात याद आ जाये,वह सामने वाले कि बात पूरी सुने बिना बीच मे ही अपनी बात कहने लगती है।  उसकी यह आदत सब को क्रोधित कर देती है। उन्हें लगता है कि निकिता उनकी बातों को महत्व नही देती। ऑफिस में उसका नाम मिसेस कैंची रख दिया गया है,अर्थात जो सबकी बातों के बीच मे ही कैंची चला दे।

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अब कौन सा उपाय किया जाए

इसका उपाय क्या है :-  किसी भी व्यक्ति की बात को बीच मे काटना अशिष्ट व्यवहार की श्रेणी में आता है। आपको अपना कोई तर्क देना हो या कोई दूसरी महत्वपूर्ण बात याद आ गयी हो, तो उसे उनकी बात पूरी होने के बाद ही बोलें।सफल समाजिक जीवन मे ध्यान और मान का संतुलन (Balance of attention and respect in successful social life)


श्री मति माधुरी बाजेपेयी
मण्डला,मध्यप्रदेश,भारत

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