श्रद्धा और विश्वास का परिचायक हरितालिका व्रत ( Hartalika Teej Vrat Katha )

 शिवत्व से भरा हुआ 

हरितालिका व्रत का सूक्ष्म अवलोकनHartalika Teej 2020, Puja Vidhi, Muhurat,तीज व्रत 2020

हरितालिका व्रत का सूक्ष्म अवलोकनHartalika Teej 2020, Puja Vidhi, Muhurat,तीज व्रत 2020

               जीवन मे जब भी संकल्प की बात किसी कार्य सिद्धि हेतु की जाती है तो यह सिद्धि जीवन की दिशा को बदल कर,प्रेम को उपलब्ध करवाती है,और यदि यह प्रेम भी गहरा हो तो ही अखंड सौभाग्य का निर्माण होता है।

          इसी अखण्ड सौभाग्य को ध्यान में रख कर महर्षियों ने, मुनियों ने विशेष समय पर भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत Hartalika Teej Vrat Katha   का अवसर तय किया है।

ध्यान रखिये मानव जीवन अत्यंत ही कीमती है, इतना की देवताओं को भी उपलब्ध नहीं है,पढ़िये और जानिये कैसे

                इस व्रत के निर्माण में मुख्य भूमिका के रूप से बताया गया है कि कोई व्यक्तित्व कैसे तप से तपता है और जीवन मे संकल्प साधने से सब सम्भव हो जाता है।

इस व्रत को भारत में निम्न जगह मनाया जाता है।

व्रत को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। वहीं, कुछ दक्षिणी राज्यों में इस व्रत को गौरी हब्बा कहा जाता है। 

Hartalika Teej Vrat Katha Hartalika vrat

व्रत के उद्देश्य :-

1) इस व्रत को कुमारी कन्याऐं अपने अनुकूल और सुयोग्य वर मिले इस हेतु करतीं हैं।

2)यह व्रत को सुहागन महिलाएं भी अपने अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। 

3)इस व्रत में महिलाएं माता गौरी से अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती हैं। इसलिए विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। 

अब इस व्रत के विशेष नियम :-

मन की शक्ति को नियंत्रण में रख कर फलाहार का सेवन।

कुछ दिन पहले से ही मन की शक्ति को स्थिर रखने में कार्य किया जाता है।

मन मे एक भाव ,एक विचार में कुछ दिन पहले से ही स्थिर होया जाता है।

😌जाने कैसे हो बुद्धि स्थिर बडी ही आसान तकनीक से😌इसे भी पढिये 

स्वयं के मन को दूषित विचारों की गुलामी से हटाकर , व्रत के उद्देश्य में केंद्रित किया जाता है।

व्रती इस पूजन में शामिल होने से पूर्व प्रणायाम से मन शुद्ध कर और शरीर को स्वच्छ और16 श्रंगार करें फिर प्रसन्न चित्त मन से भगवान शिव और पार्वती की पूजन करें।

मन को निद्रा के आगोश से भी  कुछ दिन पहले से ही दूर करने का उपाय किया जाने लगता है। जिससे व्रती के व्रत में निद्रा बाधा न पहुंचाए।

शरीर स्वास्थ्य के हिसाब से आयुर्वेद अनुसार दही सेवन व्रती इस व्रत में नही कर सकती ।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य की दृष्टि से व्रती, इस दिन चोरी से अन्न नही खा सकती,आयुर्वेद अनुसार इस दिन व्रती,दूध सम्यक से ले,कम से कम फल खायें।

व्रती, व्रत के काल मे मिठाई नहीं खा सकती,और किसी भी तरह से व्रती सब कुछ सेवन नहीं कर सकती।

केवल कुछ सेवन में उपयोगी सामग्री जिसमें, जल प्रमूख है,आयुर्वेद अनुसार निर्जला व्रत ठीक नही होता,इस लिए जल पर्याप्त मात्रा में लें।

व्रत की पूजा विधि :-

सुबह जल्दी उठें और स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

फिर श्रीमान पण्डित जी से शुभ मुहूर्त को पूंछ कर पूजा व्यवस्था चालू करें।

​पुष्प  केले  आदि के  सुंदर-सुंदर संरचना से युक्त  खंबे स्थापित करें  रेशमी वस्त्र के चंदेवा तानकर  बंदनवारे  लगाकर अब बालू रेत से भगवान गणेश, शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। 

​एक चौकी पर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल की आकृति बनाएं।

​एक कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, अक्षत, सिक्के डालें।

​उस कलश की स्थापना अष्टदल कमल की आकृति पर करें।

​कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाकर नारियल रखें।

​चौकी पर पान के पत्तों पर चावल रखें।

​श्री मान पण्डित जी के निर्देश से पूजन कीजिये,

​गणेश जी,माता पार्वती, और भगवान शिव को तिलक लगाएं। 

​घी का दीपक, धूप जलाएं।

​उसके बाद भगवान शिव को उनके प्रिय बेलपत्र धतूरा भांग शमी के पत्ते आदि अर्पित करें।

​माता पार्वती को फूल माला चढ़ाएं गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।

​भगवान गणेश, माता पार्वती को पीले चावल और शिव जी को सफेद चावल अर्पित करें

​पार्वती जी को श्रंगार का सामान भी अवश्य अर्पित करें।

​भगवान शिव औऱ गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें। और देवताओं को कलावा (मौली) चढ़ाएं।

​पूरी पूजा विधिवत् कर लेने के बाद अंत में मिष्ठान आदि का भोग लगाएं 

​अब व्रती, आदरणीय श्री मान पण्डित जी से हरितालिका तीज की कथा के लिए क्लिक करें । 

​फिर व्रती आरती बड़े भाव से कीजिये

​अंत मे ब्राम्हण देवता को कच्चा अन्न,सुंदर वस्त्र,पान,स्वेच्छा से सर्वोचित धन बड़ी श्रद्धा से देकर ब्राम्हण देवता को तृप्त करें,उनसे आशीर्वाद लें।

​अब कुछ देर विश्राम के बाद भगवान शिव और पार्वती जी के नाम से कीर्तन भजन,जप कीजिये यथा शक्ति कीजिये । आगे दूसरे दिन सुवह स्नान के बाद प्रसाद सेवन कर तृप्त हों।

इसे भी पढ़िये जीवन मे सकारात्मक बीज का अंकुरण कैसे हो ,जिससे मन का स्थायित्व बढ़े।

अब इस सम्पूर्ण पूजन का निष्कर्ष जाने

कथा का निष्कर्ष :- इस व्रत में समर्पण की अनूठी कला छुपी हुई है जो सकारात्मकता को जन्म देती है।,शिव शक्ति की कृपा पाने को इस व्रत को स्त्री एवं पुरुष सभी कर सकते हैं ।  इस आयोजन में ब्राम्हण , मूर्तिकार,माली, किसान,व्यापारी, सभी की अहम भूमिका व्रत को सफल बनाने में रहती है। हरितालिका व्रत का सूक्ष्म अवलोकनHartalika Teej 2020, Puja Vidhi, Muhurat,तीज व्रत 2020

हरितालिका व्रत

श्रीमति माधुरी बाजपेयी

मण्डला,मध्यप्रदेश,भारत


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ