विज्ञान का सीधा अर्थ वस्तुओं,विचार,शब्द,शरीर आदि-
आदि की तमाम जानकारी हासिल करना है।
यदि ज्ञान को समझें तो ज्ञान का मतलब मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना, कोई भी विधि जो स्वयं के अनुकूल प्रक्रिया से स्वयं का बोध कराये ऐंसी प्रक्रिया को जानना है,स्व की प्रकृति के लिए आस्थावान बनना है।
यद्दपि मनुष्य में जन्मजात पशु प्रवृतियां होती हैं लेकिन इन अवगुणों का नाश करके संस्कारी और आदर्शवादी बनाने की चिंतन प्रक्रिया एवं अलग अलग विधि के माध्यम से स्वयं को समझने की प्रक्रिया को ज्ञान कहा गया है।
अब अगर ज्ञान.knowledge और विज्ञान scince की आपस में तुलना करें तो कुछ ऐसा होगा हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो पानी बनता है यह विज्ञान है,लेकिन इस पानी से जीव जंतुओं की प्यास बुझती है यह ज्ञान है दरअसल विज्ञान की दिशा ज्ञान है और ज्ञान के बाद वस्तुतः विज्ञान नहीं रह जाता विज्ञान science का चरमोत्कर्ष ज्ञान है ।
इसी प्रकार तकनीक तो विज्ञान दे देता है लेकिन उस तकनीक को किस तरह से उपयोग में लेना है,वह तो केवल ज्ञान knowledge ही तय कर सकता है ।
उदाहरण :- एक चाकू हमारे पास है और उस चाकू को विज्ञान ने बना दिया हमारे पास तक पहुंचा दिया,अब इस बनी हुई चाकू का उपयोग कैसे करें यह ज्ञान से सम्भव है विज्ञान से नहीं।
और समझते हैं हम सभी tv तो जरूर देखते ही होंगे,tv हम को विज्ञान ने बनाकर दे दी ,अब अपने-अपने ज्ञान के हिसाब से ही हम तय करें कि क्या देंखेंगे क्या नहीं देखेंगे ।
आयुर्वेद को ही देंखें तो कुछ औषधियां विष से बनती हैं,शायद आप इस विषय से परिचित होंगे यह तो अत्यंत गहरा विज्ञान है,अब ज्ञान knowledgeतय करेगा कि औषधि कैसे लेना है लेना भी है या नहीं।
एक रोटी का निर्माण
सब विज्ञान से ही सम्भव है,लेकिन जब वही रोटी हम
खाते हैं तब,शरीर मे खून से लेकर सारे जीवन दायी तत्वों का निर्माण केवल ज्ञान से ही सम्भव है।(रोटी से विज्ञान खून नहीं बना सकता।)
अभिनय के क्षेत्र में देखें तो अभिनेताओं,अभिनेत्रीयों की कला का प्रदर्शन और
उनके द्वारा की जाने वाली भिन्न भिन्न भाव भंगिमाएं,जो निर्मित की जातीं है कुछ को छोड़ दिया जाए तो वे सब अत्यंत ही श्रम साध्य हैं यह विज्ञान scince है,लेकिन जब वे सभी अभिनेता व अभिनेत्री स्वयं वास्तविक अनुभव पूर्ण जीवन मे जीवन की चर्या आगे बढाने में अभिनय करते हैं तो वह भी knowledge ज्ञान से ही सम्भव है।
बड़े-बड़े बम अविष्कृत हो चुके हैं यह विज्ञान की अत्यंत ही उपयोगी और उत्तम बात है लेकिन उनका उपयोग केवल ज्ञान से ही सम्भव है।
इसी ज्ञान को पाने के लिए वैज्ञानिक भी प्रयास कर रहें हैं , भौतिक उपलब्धियां विज्ञान का सच नहीं आत्म तत्व ही विज्ञान का सच है,विज्ञान ने अब तक प्रकृति के अनेक रहस्य खोज निकाले हैं, लेकिन "वर्तमान में वह विनाश व पतन की सामग्री जुटाने में लीन है" खैर तमाम अनुसंधान, कहीं ना कहीं विज्ञान को विराम देंगे और उसका यह अंत निश्चित ही ईश्वर पर जाकर ठहरेगा क्योंकि ईश्वर को न मानना फिलहाल विज्ञान का भ्रम है आकाश में तारे तभी तक टिमटिमाते हैं, जब तक सूर्य का उदय नहीं होता ठीक उसी प्रकार इसी तरह विज्ञान अनुसंधान में तभी तक भटकता रहेगा जब तक उसे पूर्ण आत्मज्ञान नहीं हो जाता ।
दर्शनिकों ,सन्तो, योगियों के मुताबिक आत्मज्ञान ही मूल विज्ञान हैं।जबकि आधुनिक विज्ञान, इसका बिगड़ा हुआ स्वरूप है , उनके मुताबिक ईश्वर को भौतिक विज्ञान के तौर तरीकों से जानना और शुद्ध किया भी नहीं जा सकता है , -- इस कारण ईश्वर का प्राकृतिक पदार्थ से सर्वथा अलग होना है जिसका प्रयोगशाला में अनुसंधान नहीं किया जा सकता ।
विज्ञान परमाणुओं को द्रव्य का सूक्ष्मतम कण मानकर अध्ययन करता है जबकि ज्ञान परमाणुओं को द्रव्य का अंतिम स्थूल कण मानता है।अर्थात विज्ञान अनन्त की ओर चलता है और ज्ञान अंत की ओर चलता है, जब विज्ञान की दिशा ठीक होगी तब ज्ञान की ही प्रतिच्छाया होगी।
श्रीमति माधुरी बाजपेयी
मण्डला
मध्यप्रदेश
भारत
Gmail:-bhayeebheen@gmail.com
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