मन मोह लेती है,
नन्हे शिशु की
निश्छल मुस्कान ,
उम्र के बढ़ते पड़ाव में,
यही मुस्कान लाया करो।
बनावटी हंसी छली मुस्कान,
अंधकार को जन्म देती है।
उजाला भरा जीवन चाहते हो,
नन्हें शिशु की मुस्कान याद रखा करो ।
आहटों के खारे समुद्र में ,
गोता न लगाया करो।
जब कोई मिले,
मुँख में मिश्री चहरे में ,
मुस्कान लाया करो।
------------------------------------------------------------------------
बगिया में खिले फूलों की महक ,
जीवन में लाया करो ।
देखो !
इससे क्या होगा ????
********************************************
अपनो के जीवन मे मुस्कान लाना है,
तो स्वयं के चहरे में मुस्कान लाया करो ।
*********************************
बरसते मेघ ,
लहलहाती फसल ,
शीतलता से तृप्त धरा,
मुस्कुराती प्रकृति ,
इन्हें देख ,जरा मुस्कान लाया करो।
हमारा आनन्द तुम्हारा आनन्द छिपा है ,
*एक दूजे की मुस्कान में*
कुछ अनकही सी कहानियां,
कह जाती है एक दूजे की मुस्कान।
समर्पण की नाव में बैठकर,
मुस्कान की पतवार लाया करो।
************************************
क्योंकि
**जीवन यात्रा की सफलता का महामन्त्र छिपा है ,**
*आपकी मुस्कान में*
***********************************
जीवन की दिनचर्या की शुरुआत से , रात्री चर्या के अंत तक , यदि किसी भी स्थिति में मनुष्य के जीवन के आनन्द के पलों का अभिन्न हिस्सा रही है, तो वह उसकी " मुस्कान " है । उसका कार्यक्षेत्र चाहे वैज्ञानिक का हो चाहे विचारक का हो चाहे व्यवसायी का हो , चाहे नौकरी करने वाले का हो आदि-आदि ।
जन्म लेते ही यदि शिशु रोया नहीं , तो परिवार जन उसे रुलाने के लिए सैकड़ों उपाय स्वयं करते हैं और चिकित्सक भी इस कार्य मे सहयोग करते हैं, वही शिशु जब हल्की सी मुस्कान देता है ,तो आसपास खड़े स्नेहिल लोग आनन्द से विभोर हो हर्षोल्लास में भर उठ , वे सभी अपने-अपने चेहरों में मुस्कान ले आते हैं। सुख - दुख के इन पहलुओं में धैर्य के साथ मुस्कान का बड़ा स्थान है ।
जब हम किसी चिकित्सक के पास अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाने जाते हैं , --- "तब यदि वह मुस्कुराकर कहता है आइए बैठिए, ' क्या हुआ है आपको ' , आप मुझे बताइए और निश्चिंत हो जाइए सब सठीक हो जाएगा, " ऐसे शब्दों का उच्चारण मुस्कुराते हुए जब वह करता है तब दवा से ज्यादा उसकी मुस्कुराहट दर्द का एहसास कम कर देती है।
मुस्कान से किया गया , अभिवादन एक ऐसी कहानी गढ़ता है, जो समर्पण की प्रगाढ़ता प्रकट करता है। समाजिक जीवन मे यही प्रगाढ़ता उज्ज्वल भविष्य को तय करने में हमराही की तरह साथ - साथ चलती है, जिससे हम मीलों दूर की मंजिलो को भी एक पल में तय करने का साहस इसी मुस्कान से उठा लेते हैं।
जब हम किसी साक्षात्कार में उपस्थित होते हैं ,तो हमारे सामने बैठे हुए, साक्षात्कार लेने वाले जब मुस्कुराकर प्रश्न पूछता है तब हमारे अंदर बैठा हुआ भय भी सनेह सनेह साहस में बदल जाता है, और हमारा साक्षात्कार सहज हो जाता है,उनकी यही मुस्कान हमें उम्मीद के चाँद , सितारों तक ले जाती है ।
****मुस्कान का चमत्कार तो देखिए जी,-- परिवार के सदस्य हों या पड़ोसी , चाहे राह चलता भिखारी , मुस्कान भरे स्वरों से अभिवादन करने से एक ही पल में उनके ह्रदय में हम,अपना स्थान स्थापित कर लेेते हैं।
व्यापारी हो या नोंकरी पेशा वाला हो,मंदिरों में , मज्जिदों में , गुरुद्वारों में , तथा भिन्न - भिन्न पूजा स्थलों में बैठा पुजारी या वहां का उपासक हो ,चाहे चौराहे में खेल दिखाता मदारी हो, यदि इनके चहरों में मुस्कान की झलक प्रतीत होती है, तो व्यक्ति स्वतः ही आकर्षित होकर उनका स्नेहिल हो जाता है ।।
इतनी शक्तिशाली होती है अंतर्मन से आई हुई मुस्कान की वह ,जिस कार्य मे जुड़ जाती है , वही कार्य को श्रेष्ठ कर देती है।
कुछ उदाहरण को देखते हैं , जब किसी की सेवा करने का एहसास स्व के अन्तस बोध से उठता है तो जीवन मे वही सेवा हमारी मुस्कान से होती है ।
इसी प्रकार जब प्रभु की भक्ति की आंतरिक इच्छा उठती है तो पूरा रोम रोम पुलकित हो, चेहरा, एक ऊर्जा मयी चमक के साथ मुस्कुरा उठता है । जैसा
परम् भक्त चेतन्य जी के साथ ,मीरा जी के साथ हुआ ।
यही अन्तः मुस्कान का एहसास जब नृत्य में होता है,तब कोई नर्तकी की नृत्य के समय जो चहरे की मुस्कान होती है वह अद्वतीय होती है।
**********************************
पतझडों से भय न रखना ,
सावन की हरियाली , और
कदम में बंधा झूले के आनन्द न भूला देना।
संघर्षो की राहों में मुस्कुराते रहना ,
जादू भरी मुस्कान को ओठों में सजाएं रहना।।
***********************
लेखिका
श्री मति माधुरी बाजपेयी
मण्डला, मध्यप्रदेश ,भारत
Gmail :- bhayeebheen@gmail.com
2 टिप्पणियाँ
बहुत ही बढ़िया पोस्ट है आपकी ,✍️✍️������
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आगे भी पोस्ट पढ़ते रहिये
हटाएं