आइये दतिया मध्यप्रदेश के श्री येस डी शर्मा जी की स्वरचित संरचना का आनन्द लें
उठो सयानों,हम इस धरा की संतान हैं,
उठो सयानों,
हम इस धरा की संतान हैं,
हम भारत की हस्ती है ,
और सुदर्शन चक्र समान हैं।
हम इस धरा की संतान हैं,
हम भारत की हस्ती है ,
और सुदर्शन चक्र समान हैं।
कितने थपेड़े खाये हमने,
चलते रहे पर हम इंसान हैं।
दिखा दो अपनी ताकत सबको,
हम कितने अभी जवान हैं।
उठो सयानो,
हम इस धरा की संतान हैं।
हम भारत मां की हस्ती,
सुदर्शन चक्र समान हैं।
राम कृष्ण ने जन्म लिया,
प्रधुम्न लवकुश उनकी शान है।
लक्ष्मीवाई महाराणा ने किया नाम,
कुछ वीरों की वलि से सब अंजान हैं।
कितने दुश्मन पड़े रहे पीछे,
फिर भी बचाई देश की आन है।
लड़ते रहेंगे जीवन अंत तक,
झुकने न देंगे तिरंगा मान है।
उठो सयानो,
हम इस धरा की संतान हैं।
और सुदर्शन चक्र समान हैं।
नोट :- अगर आपको यह कविता पसंद आयी है तो इसे शेयर करना ना भूलें और मुझसे जुड़ने के लिए आप मेरे Whatsup group में join हो और मेंरे Facebook page को like जरूर करें।आप हमसे Free Email Subscribe के द्वारा भी जुड़ सकते हैं। अब आप instagram में भी follow कर सकते हैं ।
कविता पढ़ने के बाद अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करायें। नीचे कमेंट जरूर कीजिये, आपका विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण है।
0 टिप्पणियाँ