राधा अय्यर स्वरचित अहमदाबाद, गुजरात की प्रस्तूति
पर्वों का अमृत बरसाया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।
शुरू हुई पर्वों की धारा।
मात शीतला सप्तम लाई,
शीतलता का मौसम प्यारा।
मंगल गौरी व्रत से मिलता,
शिव जी का अनुपम साया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।
भैरव बाबा की जय करते।
एकादश और व्रत प्रदोष से,
विष्णुजी पापों को हरते।
श्रावण शिवरात्रि करने से
हो जाती है पावन काया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।
नागपंचमी नाग और नागिन,
बीन की धुन में मोहित डोले।
शुक्ल, पुत्रदा एकादश व्रत,
मनवांछित वर का घट खोले।
ओणम में खेतों ने खुद को,
नव धानों से खूब सजाया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।
कैसे भूलें भाई बहना।
बस छोटी सी डोर बन गई,
पावन प्रीत का सुंदर गहना।
रिश्तों के प्यारे बंधन ने,
रक्षा पर विश्वास दिलाया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।
वो है भारत की आज़ादी।
जगह जगह झंडा फहराकर,
याद करें बापू और खादी।
भारत माँ के वीर सुतों ने,
देश की खातिर प्राण गँवाया।
प्यासे जीवन में रस भरने,
सावन आया सावन आया।।
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