संघर्ष struggle
हमेशा से ही हम जीवन को श्रेष्ठ तरीके से समझ ही नहीं पाते। इसीलिए हमेशा से मन मे शिकायतें ही बनी रहती है। जबकि शिकायत करने से अच्छा है यह समझना कि चुनोतियाँ और संघर्ष हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होती हैं। जीवन के हर क्षेत्र में हर पल संघर्ष करना ही पड़ता है।जिस व्यक्ति का जीवन जितना संघर्षपूर्ण होता है उसके व्यक्तित्व में उतना ही निखार आ जाता है।(बिना संघर्ष के निखार कैसे ?How to glow without struggle??)
एक कहानी से जाने
एक दिन एक बूढ़ा किसान ईश्वर के पास आया और बोला, “देखिए जी, आप भगवान होंगे और आपने ही यह दुनिया भी बनाई होगी, लेकिन मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आप सब कुछ नहीं जानते :- आप किसान नहीं हो और आपको खेतीबाड़ी का क-ख-ग भी नहीं पता।
और मेरे पूरे जीवन के अनुभव का निचोड़ यह कहता है, कि आपकी रची प्रकृति और इसके काम करने का तरीका बहुत खराब है । आपको अभी सीखने की ज़रूरत है।”ईश्वर ने कहा, “मुझे क्या करना चाहिए?”
किसान ने कहा, “आप मुझे एक साल का समय दो और सब चीजें मेरे अनुसार होने दो, और देखो कि मैं क्या करता हूं ? मैं दुनिया से गरीबी का नामोनिशान मिटा दूंगा!”
ईश्वर ने किसान को एक साल की अवधि दे दी।अब सब कुछ किसान की इच्छा के अनुसार हो रहा था । यह स्वाभाविक है कि किसान ने उन्हीं चीजों की कामना की जो उसके लिए ही उपयुक्त होतीं । उसने तूफान, तेज हवाओं और फसल को नुकसान पहुंचानेवाले हर खतरे को रोक दिया । सब उसकी इच्छा के अनुसार बहुत आरामदायक और शांत वातावरण में घटित हो रहा था और किसान बहुत खुश था ।
गेहूं की बालियां पहले कभी इतनी ऊंची नहीं हुईं! कहीं किसी अप्रिय के होने का खटका नहीं था । उसने जैसा चाहा, वैसा ही हुआ । उसे जब धूप की ज़रूरत हुई तो सूरज चमका दिया। तब बारिश की ज़रूरत हुई तो बादल उतने ही बरसाए जितने फसल को भाए, पुराने जमाने में तो बारिश कभी-कभी हद से ज्यादा हो जाती थी और नदियां उफनने लगतीं थीं, फसलें बरबाद हो जातीं थीं। कभी पर्याप्त बारिश नहीं होती तो धरती सूखी रह जाती और फसल झुलस जाती… इसी तरह कभी कुछ कभी कुछ लगा रहता।
ऐसा बहुत कम ही होता जब सब कुछ ठीक-ठाक बीतता। इस साल सब कुछ सौ-फीसदी सही रहा.
गेहूं की ऊंची बालियां देखकर किसान का मन हिलोरें ले रहा था। वह ईश्वर से जब कभी मिलता तो यही कहता, “आप देखना, इस साल इतनी पैदावार होगी कि लोग दस साल तक आराम से बैठकर खाएंगे।”
लेकिन जब फसल काटी गई तो पता चला कि बालियों के अंदर गेहूं के दाने तो थे ही नहीं! किसान हैरान-परेशान था… उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हुआ. उसने ईश्वर से पूछा, “ऐसा क्यों हुआ? क्या गलत हो गया?”
(बिना संघर्ष के निखार कैसे ?How to glow without struggle??)
ईश्वर ने कहा, “ऐसा इसलिए हुआ कि कहीं भी कोई चुनौती नहीं थी, कोई कठिनाई नहीं थी, कहीं भी कोई उलझन, दुविधा, संकट नहीं था और सब कुछ आदर्श या कहें अनूकूल था। तुमने हर अवांछित तत्व को हटा दिया और गेंहू के पौधे नपुंसक हो गए,अर्थात बीज हीन हो गए। कहीं कोई संघर्ष का होना ज़रूरी था। कुछ झंझावात की ज़रूरत थी, कुछ बिजलियां का गरजना ज़रूरी था, ये चीजें गेंहू की आत्मा को हिलोर देती हैं।”(बिना संघर्ष के निखार कैसे ?How to glow without struggle??)
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कथा का परिणाम
यह बहुत गहरी और अनूठी कथा है, यदि हम हमेशा खुश और अधिक खुश बने रहेंगें तो खुशी अपना अर्थ धीरे-धीरे खो देगी। आप इसकी अधिकता से ऊब जाओगे,आपको खुशी इसलिए अधिक रास आती है क्योंकि जीवन में दुःख और कड़वाहट भी आती-जाती रहती है। आप हमेशा ही मीठा-मीठा नहीं खाते रह सकते – कभी-कभी जीवन में नमकीन को भी चखना पड़ता है। यह बहुत ज़रूरी है, इसके न होने पर जीवन का पूरा स्वाद खो जाता है।
मानवीय शक्तियोँ का विकास संघर्ष से होता है
यदि हमारे जीवन में से संघर्ष खत्म हो जाए तो हम अपने अंदर छिपी हुई सृजनात्मक शक्तियों और विभूतियों से अपरिचित ही रह जाएंगे। उन्हें खोजने का प्रश्न ही नहीं करेंगे और ना ही उन्हें कभी महसूस कर पाएंगे । जीवन की आवश्यकताएं और चुनौतियां ही हमें संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती हैं।
यदि हम संघर्ष ही ना करें तो हमें अपना जीवन ही निरर्थक लगेगा जीवित होते हुए भी हम निर्जीव प्राणी की भांति हो जाएंगे । इसलिए कहा गया है कि संघर्ष ही जीवन को निखारता है और संघर्ष ही व्यक्ति को महान बनाता है लेकिन तभी जब संघर्ष की दिशा और लक्ष्य सही हों ।
संघर्ष से ही जीवन मे असली आनन्द आएगा
संघर्ष ही व्यक्ति को सही अर्थों में मनुष्य बनाता है क्योंकि संघर्ष के माध्यम से ही पता चलता है कि जीवन का असली आनन्द क्या है?? यदि जीवन में संघर्ष ना हो तो व्यक्ति का जीवन जंग लगे उस लोहे के समान हो जाता है, जो मजबूत होने के बाद भी किसी काम का नहीं रहता ।
जीवन में हार मान लेना बहुत ही आसान है । लेकिन कोशिश करके जीत हासिल कर लेना सबसे बड़ी उपलब्धि है , संघर्ष और जीवन का चोली दामन का साथ है, संघर्ष जीवन का आरंभ भी है और अंत भी है।
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व्यक्ति के संघर्ष कारण
कभी व्यक्ति को जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है तो कभी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए।
कभी-कभी तो बिना किसी कारण के ही संघर्ष करना पड़ता है ।
इसलिए उसे घबराने के बजाय डटकर मुकाबला करने का जज्बा मन में होना ही चाहिए।
श्री मति माधुरी बाजपेयी
मण्डला,मध्यप्रदेश,भारत
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