इरादे हों पक्के,ध्यान हो गहरा,
वह कभी हारता नहीं
एक समय की बात है , जब पेटीएम के संस्थापक श्री विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छोटे से गांव में हुआ और वहीं से उन की स्कूली शिक्षा भी हुई । हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण वे अंग्रेजी भाषा के ज्ञान से कोसों दूर थे । लेकिन उनके दिल मे चाह थी कि इंजीनियर बनूंगा ही , जिसके कारण उन्होंने दिल्ली के कालेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया । अब श्री विजय शेखर शर्मा ने देखा कि - यहां सभी स्टूडैंट्स और टीचर्स अंगरेजी में बात करते हैं, तो श्री विजय शेखर शर्मा सकुचाये जिस कारण वे किसी भी बात का उत्तर नहीं दे पाते थे और शर्म महसूस करते थे ।{इरादे हों पक्के ,ध्यान हो गहरा,वह कभी हारता नहीं ।।{Have strong intentions, be deep meditation, He never loses.}}
धीरे - धीरे उनके जीवन में एक बात स्पष्ट होते जा रही थी कि वार्ता न करने से वे पिछड़ते जा रहे हैं और इसी कारण वे लोगों से कटने लगे। लेकिन एक दिन उनके जीवन का ऐंसा आया कि उनके अंदर से आवाज आई, - " विजय शेखर शर्मा अब तुम्हें जीवन मे परिवर्तन लाना ही होगा,नहीं तो उद्देश्य में सफलता मिलना मुश्किल है । " इस आवाज के बाद श्री विजय शेखर शर्मा जी को एहसास हुआ कि ऐसा कर के तो वे खुद का ही नुकसान कर रहे हैं । सच्ची लगन,ऊंचा अनुभव(True passion high experience)
इसलिए श्री विजय शेखर शर्मा ने अपनी कमी को दूर करने के लिए तत्पर्यता दिखायी और पूर्ण विश्वास के साथ लाइब्रेरी में समय बिताना शुरू किया । पुस्तकालय में उन्होंने निर्णय लिया कि पहले वे हिंदी के लेख पढ़ेंगे,फिर हिंदी के साथ-साथ वे अंगरेजी की किताबें, नौवल्स आदि खूब पढेंगे,इसी क्रम में उन्होंने पढ़ाई करना,प्रारम्भ किया।
धीरे-धीरे उनके जीवन की गति बदली और उद्देश्य सफल होते नजर आने लगा,अध्यन से उन्हें खुद में काफी सुधार महसूस किया,अब पढ़ाई के क्रम में उन्होंने बदलाब लाया,और अब उन की सोच बदली सौफ्टवेयर स्टार्स, इनोवेटर्स की सक्सैस स्टोरी को लगातार पढ़ने से ।
अन्तोगत्वा उन के दिमाग में खुद की कंपनी स्थापित करने का विचार आया जिस में वे असफल हुए । सारा पैसा डूब चुका था,और जेब में पैसे भी नहीं थे, लेकिन फिर भी हारे नहीं अपने संकल्प पर टिके रहे और सोच लिया जो होगा वह देखा जाएगा,आगे तो बढ़ना ही है।
आज इसी संकल्प का परिणाम यह हुआ कि वे पेटीएम जैसी कंपनी जिस का कारोबार करोड़ों में होने के साथ-साथ अब उनका अंगरेजी में बिजनैस होता है,आज वे paytm के मालिक हैं, इस उदाहरण से यही साबित होता है कि जिस के इरादे पक्के हों वह कभी हारता नहीं ।
0 टिप्पणियाँ