हिन्दी भाषा को सीखने के लाभ (Benefits of learning and speaking Hindi language)
अब जाने हिंदी से क्या सम्भव है:-
1) दूसरों को समझाने में आसानी
कहा जाता है कि व्यक्ति जिस भाषा का ज्ञाता होता है उस भाषा में वह अपने विचारों का आदान-प्रदान आसानी से कर सकता है और सामने वाले पर अपना अच्छा प्रभाव जमा सकता है,ऐसा ही कुछ राधिका के साथ हुआ, जब वह हर क्षेत्र में बहुत तेज थी,सिवा अंग्रेजी बोलने के, जिस कारण उसे खुद पर बहुत झुंझलाहट होती थी।
एक बार उस के स्कूल में डिबेट कंपीटिशन था । सभी छात्र इंगलिश में स्पीच दे रहे थे। मंच से राधिका नाम पुकारा गया,अब राधिका मंच की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाती जा रही थी। अचानक उसका मन किया चाहे जो भी हो अब राधिका हिम्मत नहीं हारेगी।
मंच को नमन किया और उस पर चढ़ने से पहले ही उस ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आज वह हिंदी में ही अपना भाषण देगी,भले ही वह जीते या न जीते,और राधिका ने बोलना प्रारम्भ कर दिया,मंच के पास ही,श्रोतागण चुप होकर सुनना प्रारम्भ कर दिये।
उस ने शब्दों और भाषा पर अपनी मजबूत पकड़ की वजह से ऐसा भाषण दिया कि सुनने वालों के शरीर के रेंगटे खड़े हो गए । वहां उपस्थित छात्रों के साथ-साथ जूरी मैंबर्स भी खड़े हो कर तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
भले ही वहां का माहौल अंग्रेजी का बना हुआ था, लेकिन सिवा राधिका के किसी ने भी विषय की गहराई को समझ उसे आज के संदर्भ से जोड़ने की कोशिश नहीं की थी ,और इसी का नतीजा था, कि वह अव्वल आई।
2)अपनी भाषा में बेहतर रिजल्ट
आजकल अधिकांशतया देखने में आता है कि छात्र देखा-देखी विषय व भाषा का चयन कर लेते हैं, लेकिन आगे चल कर उस में असफल हो जाते हैं । उन्हें लगता है कि अगर वे अपने मित्र या सम्बन्धियो को यह बताएंगे कि वे हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं तो सब के मन में यही सोच पैदा होगी कि शायद अंग्रेजी भाषा पर पकड़ न होने के कारण हम ने हिंदी माध्यम से पढ़ने का फैसला लिया.
सोच कर देखिए तब क्या होगा???? जब देखा-देखी लिया गया निर्णय आप को फेल कर देगा, और वही दोस्त आप को यह बोलने में भी पीछे नहीं रहेंगे कि जब बस का नहीं था तो किस ने कहा था अंगरेज बनने को। ऐसे में अगर आप अपना बेहतर कैरियर बनाना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि अंगरेजी माध्यम से ही पढ़ाई करें, आप हिंदी माध्यम से भी सफलता हासिल कर सकते हैं।
3)चहरे के हाव भाव मे भी बेहतर
अपनी भाषा में बात करने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि शब्दों के साथ-साथ हमारा चेहरा भी बोलता है , जिससे हमें अपनी योग्यता को साबित करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि अपनी भाषा में बात करते समय चेहरे पर प्राकृतिक भाव आते हैं और हम किसी की भी बात का सहज हो कर उत्तर दे पाते हैं।
जबकि दूसरी भाषा में प्रभाव जमाने के लिए हम उसे दिल से नहीं बल्कि बोझ समझ कर ग्रहण करते हैं और कई बार इतना अधिक रटने के बावजूद ठीक से हाव-भाव नहीं कर पाते इसलिए बेहतर यही है कि न तो हिंदी को अपनाने में झिझकें और न ही उस में अपने विचार प्रकट करने में शर्म महसूस करें।
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4)अधिक रचनात्मक विचार आते हैं
जिस भाषा पर हमारी अच्छी पकड़ होती है, हमें उस में काम करने में भी बहुत मजा आता है, जिस से हमारा दिमाग ज्यादा रचनात्मक सोचता है । इस से हमें कई तरह की योजनाएं बना कर बेहतर रिजल्ट मिल पाते हैं वरना दूसरी भाषा में काम करते हुए हमें उसे समझने में काफी समय लग जाता है, ऐसे में उस भाषा में रचनात्मक सोचने का तो सवाल ही नहीं उठता ।
5 टिप्पणियाँ
Bhut badhiya हिन्दी भाषा ही सर्वश्रेष्ठ
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसर्वश्रेष्ठ हिंदी भाषा ही है
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने जी
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