समझ नहीं आता | purpose of living

जिंदगी तो मिली, लेकिन जीने का  कोई मकसद , समझ नहीं आता।

समझ नहीं आता | purpose of living

दूर जा रहे हर वह लोग जो जीने का सहारा था , यह समझ नहीं आता।
क्या करुँ??, 
     किसे कहूं??
          कैसे जीयूं ?? कुछ समझ नहीं आता,
हर पल किसी की तलाश में रहती हूं क्यों,यह समझ नहीं आता,
हर पल किसी के प्यार की भूख रखती हूं क्यों,यह समझ नहीं आता
ज़िंदगी तो मिली लेकिन जीने का कोई मकसद समझ नहीं आता ।।

मन में तेरे बहुत कुछ है,लेकिन ये बताऊं किसे ?
कौन बैठा तुझे सुनने वाला,ये तुझे समझाऊं कैसे ?
इस व्यस्त दुनिया में कोई किसी का नहीं ये तुझे बताऊं कैसे ?
मतलबी दुनिया में, कोई तेरे जैसे हमदर्द नही, 
      यह तुझे समझाऊं कैसे ?

ज़िंदगी तो मिली लेकिन जीने का कोई मकसद समझ नहीं आता।।

-------- सुरभि जैन

एक टिप्पणी भेजें

31 टिप्पणियाँ

  1. Aapki Rachna bhut Achi hair dil chu Lene bali

    जवाब देंहटाएं
  2. Bhut hi pyara Likha hai apne Surbhi ji , Aisa lga jaise mujhe koi janta hai.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर एवं जीवन की असलीयत लिखी है
    बहुत कम

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर ,जीवन का सार एवं सच्चाई लिखी है बहुत कम शब्द में🙏😊👍

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं भो एक लफ्ज़ ही हूँ....
    हसरत है तो पुकार लो तुम...!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. लफ्ज़ दिल के26 जून 2022 को 12:38 pm बजे

    तलब ये की तुम जाओ ....



    हसरत ये कि उम्र भर के लिए..!!

    जवाब देंहटाएं
  7. हर कहानी किताब में दर्ज नहीं होती...
    जो आंखों से बयां हो वो कलम के बस में नहीं होती..!!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति है जिंदगी तो मिली पर मकसद समझ नहीं आया ।जैसे कई अपने आपको ढूड रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  9. Bahut pyri our sundar kavita h well done

    जवाब देंहटाएं
  10. Lovely poem as yourself. Proud of you Surbhi.

    जवाब देंहटाएं
  11. हाल ये दिल, सुनाऊ किसे ऐ समझ नही आता बहुत सुन्दर लिखती हो

    जवाब देंहटाएं